देश भर में सादगी से मनी 'बकरीद'
नई दिल्ली/ मुंबई, 10 दिसम्बरः सब्र और कुर्बानी का त्यौहार बकरीद मंगलवार को पूरे देश में शांति और भाईचारे से मनाई गई। मुसलमानों ने इस मुबारक मौके पर न केवल इकट्ठे नमाज अदा की बल्कि आतंकवाद के खिलाफ अपना विरोध भी जताया।
इस मौके पर मुंबई में मुसलमानों ने काली पट्टी बांधकर आतंकवाद का कड़ा विरोध किया। मस्जिदों व खुले मैदानों में शांति व समृद्धि के लिए लोगों ने विशेष तौर पर नमाज अदा की।
दिल्ली के जामा मस्जिद में लगभग 20,000 लोगों ने नमाज अदा की। इस दौरान मस्जिद के इमाम ने लोगों को संबोधित करते हुए मुंबई में 26 नवम्बर को हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की और लोगों से सादगी के साथ बकरीद मनाने की सलाह दी।
एक मौलवी ने बताया कि , "मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों को देखते हुए लोगों ने इस त्योहार को सादगी से मनाया।"
सुबह नमाज के बाद हजारों लोगों ने बकरों की कुर्बानी दी। इस अवसर पर राजधानी के प्रमुख मस्जिदों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे और लोगों को सतर्क रहने व संदिग्ध वस्तु देखने पर निकट के सुरक्षाकर्मियों को जानकारी देने की सलाह दी जा रही थी।
बकरीद के मौके पर इस आतंकवादी घटना का असर नवाबों के शहर लखनऊ में भी साफ दिखा। यहां शिया और सुन्नी दोनों समुदायों ने अपनी-अपनी मस्जिदों में मुंबई हमले के पीड़ितों के प्रति संवेदना प्रकट की।
मुसलमानों ने इस मौके पर काली पट्टी बांधकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि आतंकवादी इस्लाम के असली दुश्मन हैं। ऐगबाग ईदगाह मस्जिद में नमाज के बाद सुन्नी धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंग महली ने कहा कि सभी धर्मो के लोगों को एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करना होगा।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में जेहाद का मतलब बेगुनाहों का खून बहाना कतई नहीं है। जो मुसलमान जेहाद के नाम पर ऐसा कर रहे हैं वे पूरी कौम को बदनाम कर रहे हैं।
उधर, शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने आसिफी मस्जिद में नमाज के बाद कहा कि काली पट्टी बांधकर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि आतंकवादी इस्लाम के असली दुश्मन हैं। आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता और अब वक्त आ गया है कि हम उन्हें सबक सिखाएं।