रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने से कैंसर रोगियों में बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा
कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण कैंसर रोगी मौसम परिवर्तन को बर्दाश्त नहीं कर पाते। ऐसे समय में उनमें संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं।
मैक्स हेल्थकेयर में अंकोलॉजिस्ट अमित भार्गव कहते हैं, "कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण कैंसर रोगियों में संक्रमण की दर 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।''
भार्गव कहते हैं, "कैंसर रोगियों को दी जाने वाली कीमो थेरैपी व रेडिएशन थेरैपी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटा देती है। परिणामस्वरूप इन रोगियों में फ्लू के खतरे बढ़ जाते हैं।''
इस बात को समझाते हुए अपोलो इंद्रप्रस्थ अस्पताल के वरिष्ठ अंकोलॉजिस्ट फिरोज पाशा ने आईएएनएस को बताया कि संक्रामक रोगाणुओं से लड़ने वाली सफेद रुधिर कणिकाओं(डब्ल्यूबीसी) की संख्या कैंसर रोगियों में कम हो जाती है। इस कारण कैंसर रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।
इस मौसम में कैंसर रोगियों में वायरल संक्रमण व सांस की समस्या बढ़ जाती है।
आर्टमिस हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रमुख अंकोलॉजिस्ट अशोक वैद्य कहते हैं, "वायरल संक्रमण होने के बाद कैंसर रोगियों को सावधानी बरतनी शुरू कर देनी चाहिए, अन्यथा उनमें बैक्टीरियल संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं, जो स्थिति को बदतर बना सकते हैं।''
वैद्य कहते हैं, "फ्लू के लक्षणों पर भी गौर करते रहना चाहिए। इसके कारण तेज बुखार, सिर में तेज दर्द, मांस पेशियों में जकड़न व दर्द, थकान, कफ व सीने में तकलीफ या गले में खराश जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।''
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।