विस परिणाम : निराश भाजपा लोकसभा चुनावों की रणनीति फिर से बनाने में जुटी
चुनावी नतीजों से मायूस भाजपा नेताओं ने बातचीत में स्वीकार किया कि उनका आकलन गलत साबित हुआ और वे कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने में विफल रहे। हालांकि, मध्यप्रदेश में शानदार जीत और उसके पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में बहुमत हासिल करने में मिली कामयाबी पार्टी नेताओं के लिए अच्छी खबर रही, लेकिन एक बड़े प्रदेश राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पार्टी की हार से वे मायूस हैं।
दिल्ली के नतीजों से तो पार्टी बेहद अचंभित है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को एक तरह से लघु भारत माना जाता है और यहां के चुनाव नतीजों से पूरे देश के राजनीतिक मिजाज का अंदाजा भी लगाया जा सकता है।
भाजपा ने सोचा था कि मुंबई में हुए आतंकवादी हमले को रोकने में नाकाम रही केंद्र व राज्य की कांग्रेस नीत सरकारों के खिलाफ लोगों के आक्रोश को हवा देकर और मालेगांव विस्फोट में हिंदू कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ आक्रामक प्रचार कर वह ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को अपने पाले खींच पाने में सफल रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
भाजपा के निराश नेता अब दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार विजय कुमार मल्होत्रा के चयन को लेकर अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "यह स्पष्ट है कि दिल्ली में मल्होत्रा को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश करना रणनीतिक रूप से गलत साबित हुआ, जबकि राजस्थान में हार के लिए पार्टी के भीतर आपसी प्रतिद्वंद्विता जिम्मेदार रही।"
उन्होंने कहा कि हालांकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत से पार्टी राहत की सांस ले सकती है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी स्वीकार किया कि दिल्ली के नतीजे "आशा के विपरीत और अचंभित" करने वाले रहे।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व अपने चुनावी मुद्दों 'आतंकवाद' और 'महंगाई' के प्रभावों का आकलन करने पर विचार कर रहा है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, "दिल्ली में हमने इन दोनों मुद्दों विशेषकर आतंकवाद को जोर शोर से उठाया। लेकिन उसे वोटों में तब्दील नहीं किया जा सका।"
उन्होंने कहा, "हम निश्चित तौर पर चुनाव के लिए मुद्दे निर्धारित करने की अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेंगे। दिल्ली का परिणाम नेतृत्व के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। परिणामों से पता चलता है कि आक्रामक हिंदुत्व का मुद्दा भी पार्टी के लिए लाभदायक साबित नहीं हुआ है।"
पार्टी नेताओं ने तय किया था कि अगर भाजपा चार या फिर तीन राज्यों में जीत हासिल कर लेती है तो वह समय से पहले ही लोकसभा चुनाव की मांग करेगी, लेकिन अब वह ऐसा नहीं कर सकेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।