कुर्सी के लिए देवी-देवताओं की शरण में दौड़ रहे हैं मध्यप्रदेश के नेता
भोपाल, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में अगले पांच साल तक सत्ता का सुख कौन भोगेगा, इसका खुलासा सोमवार को हो जाएगा। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद यहां के नेतागण जीत के लिए देवी-देवताओं की आराधना में लगे हुए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले तीन दिनों से लगातार राज्यभर के मंदिरों और इबादतगाहों पर माथा टेक रहे हैं तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी भी भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।
पचौरी गुरुवार को दतिया जिले में स्थित पीतांबरा पीठ गए थे और आगे भी उनका मंदिरों में मत्था टेकने का यह कार्यक्रम जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री चौहान पहले ही पीतांबरा पीठ पर मत्था टेक चुके हैं। इसके अलावा वे उज्जैन के महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर के ममलेश्वर ज्योतिर्लिगों के दर्शन का लाभ ले चुके हैं।
कुर्सी के लिए ईश्वर-आराधना में चौहान के सहयोगी मंत्री भी उनका साथ दे रहे हैं। चौहान के करीबी माने जाने वाले नरोत्तम मिश्र और कैलाश विजयवर्गीय तो जम्मू स्थित वैष्णो देवी और शिरडी के साईं बाबा के दर्शन करके लौट चुके हैं।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को अपने पूरे परिवार के साथ ओंकारेश्वर पहुंचे थे। हालांकि उन्होंने दावा किया कि वे श्रद्धावश ही ईश्वर के दरबार में माथा टेकने आए हैं और इसका चुनावी नतीजों से कोई संबंध नहीं है। मुख्यमंत्री के मुताबिक वे वहां बचपन से ही आते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, "मंदिर आना मेरी श्रद्धा से जुड़ा है। मेरा मानना है कि मेरी प्रार्थना से पूरे राज्य में सुख और समृद्धि आएगी।"
उज्जैन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा कांग्रेस के उम्मीदवारों द्वारा जीत के लिए यज्ञ कराए जाने की भी खबर है। दोनों पार्टियों को जो नेता बड़े तीर्थस्थलों पर नहीं जा सके हैं, वे अपने गृहनगर में ही अपनी पार्टियों की जीत के लिए आराधना-अनुष्ठान कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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