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जलवायु पर्वितन के कारण भारत में जन हानि अन्य देशों की अपेक्षा अधिक

By Staff
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पोजनान(पोलैंड), 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन के कारण आई मौसमी आपदाओं के चलते वर्ष 1998 से 2007 के बीच भारत में अन्य देशों की अपेक्षा कहीं ज्यादा जन हानि हुई है। प्राकृतिक आपदाओं में हर वर्ष लगभग 4,523 व्यक्ति मारे गए हैं।

यह जानकारी जर्मनी के एक गैर सरकारी संगठन 'जर्मनवाच' ने दी है।

जर्मनवाच के सवेन हार्मेलिंग ने गुरुवार को कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत में प्रति वर्ष 12 अरब डॉलर की आर्थिक क्षति हुई है। यह राशि भारत के सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) का 0.62 प्रतिशत बैठती है।

पश्चिमी पोलैंड टाउन में यूएन फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) समिट के मौके पर हार्मेलिंग ने कहा कि यदि औसत मृत्यु, प्रति 100,000 की आबादी पर मरने वालों की संख्या, कुल औसत नुकसान व जीडीपी के प्रतिशत के रूप में औसत नुकसान का आंकड़ा निकाला जाए तो पिछले दशक में अति प्राकृतिक आपदा प्रभावित देशों में भारत सातवें स्थान पर आएगा।

जर्मनवाच ने इन चार कारणों के आधार पर एक सूची तैयार की है। इस सूची के अनुसार होंडुरास मौसमी आपदा के कारण पिछले दशक का सबसे ज्यादा पीड़ित देश रहा, उसके बाद बांग्लादेश का स्थान आता है।

हार्मेलिंग ने कहा कि अकेले वर्ष 2007 में मौसमी आपदाओं के कारण 2,502 भारतीय नागरिक मारे गए थे। लेकिन इस कतार में अन्य देशों

के आ जाने के बाद पिछले वर्ष भारत 19वें स्थान पर पहुंच गया।

हर्मेलिंग ने कहा कि चूंकि जलवायु परिवर्तन एक जारी रहने वाली सच्चाई है, लिहाजा दुनिया के देशों को अपने जोखिम प्रबंधन तंत्र को मजबूत करना होगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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