इस वर्ष टूट गई तानसेन सम्मान की परंपरा
भोपाल, 3 दिसम्बर (आईएएनएस)। संगीत सम्राट तानसेन के नाम पर दिए जाने वाले प्रतिष्ठित 'तानसेन सम्मान' को हासिल करना किसी भी कलाकार का सपना होता है लेकिन इस वर्ष इस सम्मान से जुड़ी परंपरा टूट रही है। राज्य के संस्कृति विभाग ने पांच दिसम्बर से शुरू हो रहे समारोह के दौरान इस सम्मान के लिए किसी कलाकार के नाम की घोषणा नहीं की है।
ग्वालियर में प्रतिवर्ष होने वाला तानसेन समारोह प्रदेश का गौरव है। तानसेन सम्मान भी इसी समारोह का हिस्सा है। एक ओर जहां समारोह का आयोजन उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी करती है वहीं तानसेन सम्मान संस्कृति विभाग द्वारा दिया जाता है। सम्मान की शुरुआत 1980 में की गई थी और यह उन्हीं संगीत मनीषियों को दिया जाता है जिनका हिन्दुस्तानी संगीत में महत्वपूर्ण योगदान है।
पिछले 27 वर्षो के दौरान पंडित भीमसेन जोशी, उस्ताद अमजदअली खां, पंडित शिवकुमार शर्मा, सुलोचना बृहस्पति, पंडित गोस्वामी गोकुलोत्सव महाराज जैसे कलाकारों को इस सम्मान से विभूषित किया जा चुका है। आरंभ में इस सम्मान के तहत पुरस्कार स्वरूप पांच हजार रुपये की राशि दी जाती थी जो क्रमश: बढ़ते-बढ़ते अब दो लाख रुपये हो गई है।
समारोह की शुरुआत से लगभग एक सप्ताह पहले सम्मानित किए जाने वाले कलाकार के नाम की घोषणा कर दी जाती थी, परंतु इस बार ऐसा नहीं हुआ। इसकी वजह संस्कृति विभाग के निदेशक का पद पिछले कुछ अरसे से रिक्त होना बताया जा रहा है। पूर्व में निदेशक रहे पवन श्रीवास्तव को अब आतंकवाद निरोधक प्रकोष्ठ (एटीसी) में तैनात कर दिया गया है। पद के रिक्त होने के चलते जूरी की बैठक ही नहीं हुई और नाम तय नहीं हो पाया। इसके चलते एक परंपरा ही टूटने के कगार पर पहुंच गई।
गत दो दिसम्बर को संस्कृति विभाग के निदेशक पद की जिम्मेदारी सम्भालने के बाद श्रीराम तिवारी ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि चुनावी आचार संहिता के चलते जूरी की बैठक नहीं हो सकी और तानसेन सम्मान के लिए नाम तय नहीं हो सका। लिहाजा पांच दिसंबर से शुरू हो रहे समारोह में यह सम्मान नहीं दिया जा सकेगा। लेकिन उन्होंने कहा कि इसी वर्ष नाम तय करके एक समारोह में योग्य कलाकार को सम्मान प्रदान किया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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