वैश्विक मंदी से प्रभावित होगा एचआईवी कोष (विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर पर विशेष)
नई दिल्ली, 30 नवंबर (आईएएनएस)। यूएनएड्स के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक मंदी एचआईवी व एड्स से लड़ने के लिए बनाए गए कोष पर बुरा असर डाल सकती है। लेकिन मजबूत बैंकिंग प्रणाली के कारण भारत को इस बारे में बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है।
नई दिल्ली, 30 नवंबर (आईएएनएस)। यूएनएड्स के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक मंदी एचआईवी व एड्स से लड़ने के लिए बनाए गए कोष पर बुरा असर डाल सकती है। लेकिन मजबूत बैंकिंग प्रणाली के कारण भारत को इस बारे में बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है।
यूएनएड्स के कार्यकारी निदेशक पीटर पॉयट ने अपने भारत दौरे के दौरान आईएएनएस को बताया, "अभी तक दानदाताओं से आने वाली सहायता राशि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। वे हमें बराबर कोष मुहैया करा रहे हैं। लेकिन भविष्य में इस पर प्रभाव पड़ सकता है।''
देश में एचआईवी पॉजिटिव पीड़ितों की संख्या फिलहाल 25 लाख हैं। इनमे 14 वर्ष से कम उम्र के 70,000 बच्चे भी शामिल हैं।
लेकिन पॉयट के अनुसार भारत को एड्स व एचआईवी के इलाज के लिए कोष के मामले में चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "आपके बैंक मजबूत हैं और अच्छा काम कर रहे हैं।''
पॉयट ने कहा, "यदि किसी देश की आर्थिक स्थिति खराब है, तो इससे उसकेसामाजिक ढांचे पर भी बुरा असर पड़ेगा। परिणामस्वरूप गरीबी बढ़ेगी। इस कारण एचआईवी व एड्स को परोक्ष रूप से बढ़ावा मिलेगा।''
पॉयट के अनुसार ये बातें वह अपने पिछले अनुभवों के आधार पर कह रहे थे। उनके अनुसार जब वर्ष 1990 में जापान तथा डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नार्वे व स्वीडन जैसे नोरडिक देशों में वित्तीय संकट था, तो एचआईवी व एड्स से लड़ने के लिए वैश्विक कोष में भी कमी आ गई थी।
फिलहाल दुनिया में 3 करोड़ 30 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। इसमें 27 लाख लोग अकेले वर्ष 2007 में शिकार हुए। पिछले वर्ष एड्स के कारण लगभग 20 लाख लोग मौत के मुंह में समा गए थे।
ज्ञात हो कि यूएनएड्स को दुनिया के कई सारे देशों से आर्थिक मदद आती है। इसमें हालैंड व स्वीडन सबसे बड़े दानदाता हैं। इसके अलावा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसी कई संस्थाएं व विकास एजेंसियां भी इस कोष में दान करती हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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