फर्ज और बहादुरी की मिसाल बने एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे
नागपुर, 27 नवंबर (आईएएनएस)। अपनी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठता से भरे कई करतब दिखा चुके हेमंत करकरे की जिंदगी का आखिरी लम्हा भी बहादुरी का परिचय देते हुए बीता। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के प्रमुख करकरे ने बुधवार को आतंकवादियों से लोहा लेते हुए इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
बुधवार रात जब करकरे ने सुना कि मुंबई को आतंकवादियों ने अपने निशाने पर ले लिया है तो वे अपना फर्ज निभाने निकल पड़े। इस दौरान इस जांबाज अधिकारी ने बुलेट प्रूफ जैकेट तक नहीं पहनी। आतंकवादियों की गोलियों ने मुंबई पुलिस से उसके इस कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार और बहादुर अधिकारी को छीन लिया।
58 वर्षीय करकरे वर्ष 1982 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी थे। उन्होंने एटीएस की कमान जनवरी में संभाली थी। इससे पहले वे देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी रॉ में सात वर्षो तक काम कर चुके थे। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि हाल ही में करकरे को धमकी मिली थी कि उनको कुछ दिनों मार दिया जाएगा।
नागपुर में पैदा हुए और पले-बढ़े करकरे ने वर्ष 1975 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। आईपीएस के लिए चयनित होने से पहले उन्होंने कई कंपनियों में नौकरी की।
महाराष्ट्र के थाणे, नांदेण और अकोला में तैनाती के दौरान उनकी प्रतिष्ठा में जबरदस्त इजाफा हुआ। उन्होंने मुंबई समेत कई जगहों पर हुए विस्फोटों की गुत्थी बहुत ही संजीदगी और सलीके से सुलझाई। वे मालेगांव विस्फोट की गुत्थी सुलझाने के करीब भी पहुंच गए थे।
वे दो पुत्रियों और एक पुत्र के पिता थे। उनकी कमी का अहसास उनके परिवारवालों के बाद सबसे ज्यादा महाराष्ट्र पुलिस होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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