विस चुनाव : शादियां बनीं परेशानी का सबब
ग्वालियर, 26 नवंबर (आईएएनएस)। शादियों और चुनाव का यूं तो आपस में कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन इस बार मध्यप्रदेश में मतदान के दिन बड़ी संख्या में शादियों से उम्मीदवार परेशान हैं।
नेताओं की एक बड़ी चिंता वोट की है। शादियों के चलते कई मतदाता बाहर जा रहे हैं तो जिनके यहां बारात आ रही है वे कह रहे है कि चुनाव देखें या शादी। पूर्व मंत्री गोविन्द सिंह के करीबी नेता लहार के निवासी विनोद तिवारी का कहना है कि बेटे की शादी है इसलिए प्रचार में भी साथ नहीं जा पा रहा हूं।
शादियों में टेंट का इंतजाम करने वाले अनंत टेंट हाउस, छतरपुर के मालिक संजय गुप्ता के अनुसार पूरे बुंदेलखंड में 27 तारीख को दो हजार से ज्यादा शादियां है। मांग इतनी ज्यादा है कि वे चुनाव के दिन राजनीतिक दलों को टेंट तक नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई शादी में ही टेंट देना चाहता है क्योंकि वहां नकद पैसा मिलता है, जबकि नेताओं से पैसा वसूलना मुश्किल होता है।
नेताओं को गाड़ियों की भी जरूरत महसूस हो रही है। शादियों में गाड़ियों की जरूरत है और चुनाव में हर कार्यकर्ता गाड़ी चाहता है। ऊपर से चुनाव आयोग के फरमान पर पुलिस ने कई निजी बसें और गाड़ियां अपने कब्जे में ले ली हैं। ग्वालियर में सन बीम होटल सात दिन तक बुक है और चुनाव आचार संहिता के चलते सरकारी गेस्ट हाउस भी नहीं मिल सकता। भारतीय जनशक्ति के प्रवक्ता पुष्पेन्द्र जैन कहते हैं कि हर जगह शादी है जिससे चुनावी इंतजाम में मुश्किल आ रही है। पूरा पैसा देने पर भी रहने की जगह और गाड़ी नहीं मिल रही है।
ऐसा नहीं है कि परेशान नेता ही हो रहे है। परेशानी तो दुल्हों को भी हो रही है। मतदान के दिन बुन्देलखंड से लगने वाली उत्तरप्रदेश की सीमा सील रहेगी और आयोग ने निजी वाहनों पर अघोषित पाबंदी लगा दी है। छतरपुर से बारात लेकर जालौन जाने वाले दुल्हा श्याम लाल यादव को चिन्ता है कि बारात सीमा पार कैसे करेगी। कहीं रास्ते में सुरक्षा बल परेशान न करने लगें।
आखिरी परेशानी उन बारातियों की है जो बारात में मस्त होकर नाचने जाते हैं। चुनाव के चलते 25 से 27 नवंबर तक शराब की दुकान बंद है। अब जब पीना ही नहीं तो नाचना कैसा। यानि चुनाव और शादी साथ न हो तो बेहतर ही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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