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विस चुनाव : बुन्देलखंड में उमा ने गड़बड़ाए चुनावी समीकरण

By Staff
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टीकमगढ़, 24 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के मैदान में भारतीय जन शक्ति (भाजश) की नेता उमा भारती की मौजूदगी स्पष्ट महसूस की जा रही है। बुन्देलखंड की 32 सीटों पर तो उमा के उम्मीदवारों के चलते मानो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नींद ही उड़ गई है।

टीकमगढ़, 24 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के मैदान में भारतीय जन शक्ति (भाजश) की नेता उमा भारती की मौजूदगी स्पष्ट महसूस की जा रही है। बुन्देलखंड की 32 सीटों पर तो उमा के उम्मीदवारों के चलते मानो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नींद ही उड़ गई है।

खुद टीकमगढ़ से चुनाव लड़ रही उमा प्रदेश में हेलीकॉप्टर के जरिए प्रचार कर रही हैं और एक-एक दिन में 10 से 12 सभाओं को संबोधित कर रही हैं।

उमा भारती ने उम्मीदवार भी ऐसे चुने हैं जो जाति के समीकरण के लिहाज से चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकें। बुन्देलखंड इलाके में उमा भारती का एक बड़ा लोधी वोट बैंक है लेकिन उमा ने हर जगह लोधी उम्मीदवार खड़ा करने की बजाय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की तर्ज पर गैर लोधी उम्मीदवार पर्याप्त संख्या में उतारे हैं।

उमा ने पवई से मुकेश नायक, बड़ा मलेहरा से रेखा यादव, निवाड़ी से अजय राठौड़ और खरगापुर से अजय यादव को टिकट दिया है। उन्होंने अपनी सबसे ज्यादा ताकत छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, पन्ना और दमोह जिले की सीटों पर लगाई है।

पिछले विधानसभा के चुनाव परिणामों पर नजर दौड़ाई जाए तो यह बात साफ होती है कि बुंदेलखंड में भाजपा ने कांग्रेस का सफाया कर दिया था। तब इस इलाके में कुल 29 विधानसभा सीटें थीं, जिनमें से भाजपा को 22, कांग्रेस को चार, सपा को दो और बसपा को एक सीट मिली थी। परिसीमन के बाद हो रहे इस चुनाव में बुंदेलखंड में तीन नई सीटें बनी हैं, जिससे इलाके में कुल 32 सीटें हो गई हैं।

राजनीतिक प्रेक्षकों का भी मानना है कि उमा भारती की पार्टी ने बुन्देलखंड में तमाम राजनैतिक समीकरण गड़बड़ा दिए हैं। भाजपा और कांग्रेस के लिए भाजश के उम्मीदवारों ने मुसीबत खड़ी कर दी है। भाजश उम्मीदवारों को मिलने वाले वोट इस चुनाव में निर्णायक सिद्ध होंगे।

दिलचस्प बात यह है कि प्रेक्षकों के इस आकलन से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सहमत नहीं हैं। दोनों ही इस चुनाव में उमा को प्रभावी कारक नहीं मानते। कांग्रेस प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी का कहना है कि चुनाव नतीजे उमा के असर से बिल्कुल अछूते रहेंगे। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "उमा का राजनैतिक कद लगातार कम होता गया है। अब वह महज अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं।"

बुंदेलखंड के वरिष्ठ भाजपा नेता और छतरपुर के पूर्व विधायक उमेश शुक्ला भी चतुर्वेदी से सहमति जताते हुए कहते हैं, "उमा भारती से भाजपा को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा।"

अपने बारे में तमाम अनुमानों और आकलनों को लेकर उमा भारती बेफिक्र हैं। उनका कहना है, "मैं इस चुनाव में उन लोगों के खिलाफ लड़ने उतरी हूं जिन्होंने मुझे धोखा दिया।" उमा के करीबी भी यह मानते है कि इस बार उनकी रणनीति किसी भी तरह राज्य में भाजपा को पराजित कर सत्ता से दूर रखने की है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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