विस चुनाव : मध्यप्रदेश में भितरघातियों से निपटने के लिए कांग्रेस का नया फार्मूला
भोपाल, 21 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ अपनी ही पार्टी के भितरघातियों से भी जूझना पड़ रहा है। इन भितरघातियों से निपटने के लिए कांग्रेस ने एक फार्मूला तैयार किया है। इसके मुताबिक संदेह के घेरे में आए नेताओं को उनके जिले और विधानसभा क्षेत्रों से हटाने की रणनीति बनाई गई है।
टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस में भी जमकर असंतोष है। कई बागी अभी भी बतौर निर्दलीय मैदान में डटे हुए हैं और कई ने तो दूसरे दलों का दामन थामकर अपनी नई राजनैतिक पारी शुरू करने की तैयारी कर ली है। दूसरी तरफ कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने टिकट न मिलने पर पार्टी का दामन तो नहीं छोड़ा है मगर वे पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पार्टी में रहकर नुकसान पहुंचाने वालों से कैसे निपटा जाए इसके लिए पार्टी के रणनीतिकारों ने एक रणनीति बनाई है और जिस पर अमल करने के लिए दिग्गजों से लेकर छोटे नेताओं तक को निर्देश दिए गए हैं। इसी का नतीजा है कि ग्वालियर से टिकट के दावेदार अशोक शर्मा को चुनाव प्रबंधन के काम में भोपाल भेज दिया गया है। भिन्ड के वरिष्ठ नेता रमेश दुबे को प्रचार के लिए श्योपुर भेजा गया है और टीकमगढ़ के जिलाध्यक्ष रवीन्द्र आध्र्वयु को खरगापुर विधानसभा प्रचार के लिए भेज दिया गया है।
इतना ही नहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह, प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी, केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी ऐसे उम्मीदवारों के समर्थन में जन सभाएं करनी पड़ रही है जिनके टिकट कटवाने के लिए उन्होंने जान लगा दी थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने सभी नेताओं को सिर्फ एक संदेश भेजा है कि उन्हें मध्यप्रदेश में सिर्फ जीत चाहिए। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस में कुछ बदलाव दिख रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**