एचआईवी और एड्स की रिपोर्टिग के लिए नए दिशानिर्देश (लीड-1)
नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय प्रेस परिषद ने एचआईवी व एड्स की रिपोर्टिग के लिए मीडिया को नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
अब पत्रकारों को एचआईवी ग्रस्त रोगियों की पहचान गुप्त रखनी होगी। परिषद ने स्पष्ट किया है कि चूंकि एचआईवी व एड्स दोनों एक-दूसरे के पर्यायवाची नहीं हैं, लिहाजा इन्हें एचआईवी/एड्स के रूप में नहीं लिखा जाना चाहिए।
दिशानिर्देश के तहत पीड़ित शब्द का इस्तेमाल वर्जित होगा, एचआईवी ग्रस्त रोगियों की जीवन-हाल दिखाने के लिए खुफिया कैमरों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, इस विषाणु जनित रोग की खबरें प्रकाशित करते समय किसी बीमार या मरणासन्न व्यक्ति की तस्वीर तथा खोपड़ी व एक-दूसरे को काटती हुई दो हड्डियों वाली ग्राफिक्स इस्तेमाल में नहीं लाए जाएंगे।
परिषद ने ये नए दिशानिर्देश, नेटवर्क ऑफ पॉजिटिव पीपुल नामक संस्था की तरफ से तिरुवनंतपुरम की बाल अदालत में दायर की गई एक याचिका के बाद जारी किए हैं।
याचिका में मीडिया द्वारा दो पीड़ित बच्चों के हालात का प्रदर्शन करने और उसके बाद एक की मौत की झूठी खबर प्रकाशित करने पर आपत्ति उठाई गई थी।
उसके बाद अदालत ने प्रेस परिषद को निर्देश दिए कि वह मीडिया को नए दिशानिर्देश जारी करे। परिषद ने इस मुद्दे पर यूएनएआईडीएस व इस क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और उसके बाद रविवार को नए दिशानिर्देश जारी कर दिए।
परिषद ने एचआईवी व एड्स की रिपोर्टिग के लिए इसके पहले 1993 में दिशानिर्देश जारी किए थे।
ज्ञात हो कि भारत में कुल 25 लाख व्यक्ति एचआईवी-पॉजिटिव रोग से ग्रस्त हैं। इसमें 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या 70,000 है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।