शक्ति संतुलन उभरती अर्थव्यवस्थाओंके पक्ष में : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री के विशेष विमान एयर इंडिया वन से, 16 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जी 20 शिखर सम्मेलन में भाग लेकर स्वदेश लौटते समय रविवार को कहा कि दुनिया में अब शक्ति संतुलन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के पक्ष में होता जा रहा है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि पहली बार विकसित अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के बीच गंभीर चर्चा हुई है। इससे साफ है कि धीरे-धीरे शक्ति संतुलन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के पक्ष में हो रहा है।
इसका प्रत्यक्ष प्रमाण जी 20 देशों के शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा में दिखाई दिया, जिसमें भारत की चिंताओं को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया।
मनमोहन सिंह ने कहा कि इससे पहले भारत को जी 8 देशों के सम्मेलन में वार्ता के लिए आमंत्रित किया जाता था लेकिन उसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया।
शनिवार को शिखर सम्मेलन के अंत के बाद जारी एक बयान में नेताओं ने आर्थिक संकट से हो रहे नुकसान को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के संकल्प के साथ ही वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिए पांच सामूहिक सिद्धांतों का भी उल्लेख किया।
बयान में 30 अप्रैल 2009 में पुन: शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर सहमति प्रकट की गई। उस समय तक जार्ज बुश के स्थान पर बराक ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल चुके होंगे।
इसके पहले सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दुनिया की खराब आर्थिक हालत को सुधारने और मंदी को रोकने के लिए बहुमुखी कदम उठाने को कहा।
उन्होंने कहा, "यह समस्या वैश्विक है और इससे निपटने के लिए समय पर संयुक्त वैश्विक प्रयास की जरूरत है।"
इस शिखर सम्मेलन से जी 20 के नेता नजदीक आए हैं। ये देश दुनिया की 90 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण रखते हैं। जी 20 समूह में सबसे बड़े औद्योगिक देशों के संगठन जी सात सहित भारत, चीन, ब्राजील, सऊदी अरब जैसे करीब 12 विकासशील देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
आर्थिक मंदी को रोकने के लिए सुझाए गए मनमोहन सिंह उपायों में, समन्वित वित्तीय प्रयासों के साथ ही विकासशील देशों को जाने वाले कोषों में कमी को रोकने के साथ ही भविष्य में ऐसे संकट से बचने के लिए वैश्विक वित्तीय संस्थाओं के ढांचे में सुधार का प्रस्ताव शामिल था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।