वित्तीय संकट से बेहतर तरीके से निपटा गया : प्रधानमंत्री (लीड-2)
प्रधानमंत्री के विशेष विमान से, 16 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आम चुनाव समय पर होने की संभावना जताते हुए कहा कि जनता को उनकी सरकार का मूल्यांकन वैश्विक वित्तीय संकट से निपटने के लिए समय रहते उठाए गए कदमों से करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका में नेतृत्व परिवर्तन से रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वाशिंगटन से लौटते वक्त विशेष विमान में प्रधानमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में रविवार को कहा, "मैं इसका श्रेय नहीं ले रहा हूं, लेकिन मैं सोचता हूं कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और मैंने इस संकट को भांप लिया था कि इस साल वैश्विक आर्थिक संकट आ सकता है।"
उन्होंने कहा, "मैं सोचता हूं कि हमने ठीक समय पर कदम उठाए और मुझे आशा है कि देश के लोग हममें विश्वास जताएंगे।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि घाटे के संदर्भ में उनकी सरकार ने इस साल के बजट में बहुत बड़ा जोखिम उठाया है जिसने सौभाग्यवश पैदा हुए तरलता संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश की पहल पर वाशिंगटन में आयोजित विश्व के 20 धनी और विकासशील देशों के सम्मेलन में भाग लेकर स्वदेश लौट रहे प्रधानमंत्री ने कहा, "जहां तक हमारी अर्थव्यवस्था का सवाल है, मैं समझता हूं कि हमारा वित्तीय विकास पहले से जारी है।"
उन्होंने कहा कि इस मंदी के दौर में किसानों को उनके गेहूं और चावल की रिकार्ड कीमत दी गई है। बैंकों को 71 हजार करोड़ रुपये के कृषि ऋण की भरपाई करने को कहा गया है और सरकार ने सामाजिक परियोजनाओं में धन के आवंटन को बढ़ाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था की तेजी को बनाए रखने के लिए जरूरी सभी कदम सरकार ने उठाए हैं और सौभाग्यवश महंगाई की दर में भी पिछले सप्ताह भारी गिरावट दर्ज की गई। ऐसे में सरकार के लिए इस संकट से निपटना और आसान हो गया है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि समय से पहले आम चुनाव कराने की सरकार की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, "जहां तक वैश्विक वित्तीय संकट की बात है, यह संकट हमारी देन नहीं है। मैं चाहता हूं कि लोग इस संकट के समय हमारी सरकार के प्रदर्शन का मूल्यांकन करें।"
उन्होंने कहा कि ऐसे में जब पूरी दुनिया वित्तीय संकट की चपेट में है उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की दर से विकास कर रही है। चुनाव समय पर होंगे और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) दोबारा सरकार बनाएगा।
उधर, नेतृत्व परिवर्तन के बाद अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि 20 जनवरी को बराक ओबामा के राष्ट्रपति के रूप में सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी प्रशासन के साथ रिश्तों को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "जहां तक मैं समझता हूं कि हमें अमेरिका में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चिंतित होने का कोई कारण नहीं दिख रहा है।"
उन्होंने कहा, "मैं मानता हूं कि अमेरिका में भारत जो भूमिका निभा सकता है और उसे जो निभानी चाहिए, इसको लेकर आम राय है। भारत अपनी अर्थव्यवस्था को जिस तरह से आगे बढ़ा रहा है उसको लेकर वहां हमारी प्रशंसा हो रही है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी कड़ी में ओबामा ने हाल ही में पूर्व विदेश मंत्री मेडेलीन अलब्राइट और कांग्रेस में एशिया मामलों की समिति के अध्यक्ष टॉम लीच को भारतीय प्रशासन के साथ बातचीत करने के लिए भेजा था।
उन्होंने कहा, "उन लोगों ने हमें सकारात्मक संकेत दिए और इसलिए भारत के प्रति ओबामा प्रशासन के नजरिये को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है।"
इन दोनों ने वाशिंगटन में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और अमेरिका में भारत के राजदूत रोनेन सेन से मुलाकात की थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।