विस चुनाव : महिलाओं के लिए चुनाव मैदान में डटी हैं गौसिया बशीर
बांदीपोरा(जम्मू व कश्मीर), 16 नवंबर (आईएएनएस)। अलगाववादियों के चुनावी बहिष्कार व आतंकवादियों की धमकियों को दरकिनार करते हुए उत्तर कश्मीर में बांदीपोरा सीट से अकेली महिला प्रत्याशी गौसिया बशीर कहती हैं कि वह महिलाओं व गरीबों की समस्याओं को आवाज देने के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
बांदीपोरा(जम्मू व कश्मीर), 16 नवंबर (आईएएनएस)। अलगाववादियों के चुनावी बहिष्कार व आतंकवादियों की धमकियों को दरकिनार करते हुए उत्तर कश्मीर में बांदीपोरा सीट से अकेली महिला प्रत्याशी गौसिया बशीर कहती हैं कि वह महिलाओं व गरीबों की समस्याओं को आवाज देने के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
आतंकवादियों का गढ़ कहे जाने वाले बांदीपोरा में पहले चरण के मतदान के दौरान 17 नवंबर को मत डाले जाएंगे। गौसिया यहां 21 पुरुष प्रत्याशियों के खिलाफ अकेली महिला प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं।
इस सीट पर मुख्य मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पीडीपी और अवामी लीग के बीच है। लेकिन 27 वर्षीय निर्दलीय प्रत्याशी गौसिया पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता।
उसने अपनी खुद की गरीब नवाज पार्टी बनाई है और बांदीपोरा सीट से अपनी जीत को लेकर वह पूरी तरह आश्वस्त है।
गौसिया ने आईएएनएस को बताया "मेरे पास न धन बल है और न किसी बड़ी पार्टी का समर्थन ही। यह लड़ाई मैं अपने दम पर बांदीपोरा के गरीबों और महिलाओं की समस्याओं को लेकर लड़ रही हूं।''
कश्मीर में महिलाओं का चुनाव लड़ना कोई नई बात नहीं है। पूर्व में कई सारी महिलाएं यहां चुनाव लड़ चुकी हैं और उनमें से कुछ राज्य विधानसभा में भी पहुंची हैं, लेकिन पृष्ठभूमि के लिहाज से गौसिया अपने तरह की अकेली उम्मीदवार हैं।
गौसिया कहती हैं "मेरा कोई राजनीतिक गुरु नहीं है। मैं निजी तौर पर मानती हूं कि चुनावों में भाग्य आजमाने का महिलाओं को समान अधिकार है।''
गौसिया के समर्थकों का कहना है कि उसने अपने जीवन में बहुत दुख सहे हैं और वह नहीं चाहती कि उसकी तरह अन्य महिलाएं भी शोषण व मानसिक प्रताड़ना की शिकार बनें।
बांदीपोरा कस्बे में मुस्लिमाबाद के निवासी 29 वर्षीय शब्बीर अहमद कहते हैं "कम उम्र में ही उसे तमाम मुसीबतें झेलनी पड़ीं। कुछ वर्षो पहले वह एक अपहरण के मामले में फंस गई थी। उसके बाद पति के साथ उसकी वैवाहिक समस्याएं भी थींे।''
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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