दयानंद पांडे मेरा शिष्य नहीं : स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती
लखनऊ, 13 नवंबर (आईएएनएस)। काशी सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने गुरुवार को मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तार और खुद को स्वयंभू शंकराचार्य बताने वाले महंत दयानंद पांडे उर्फ सुधाकर द्विवेदी उर्फ अमृतानंद स्वामी को अपना शिष्य मानने से इनकार किया है।
बुधवार को महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा कानपुर में पकड़े गए दयानंद पांडे ने खुद को काशी सुमेरू पीठ के शंकाराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती का शिष्य बताया था।
शंकाराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने गुरुवार को वाराणसी में पत्रकारों से साफ किया कि दयानंद पांडे कभी उनका शिष्य नहीं रहा है और न ही उससे उनका कोई वास्ता है।
सूत्रों के मुताबिक दयानंद पांडे उर्फ सुधाकर द्विवेदी मूल रूप से वाराणसी का रहने वाला है। इसके पिता उत्तरप्रदेश पुलिस में दरोगा थे और दस साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे। दयानंद पांडे 2003 में जम्मू जाकर वहां शारदा सर्वज्ञ पीठ का पीठेश्वर बन गया। बताया जा रहा है कि वह तीन दिन पहले ही कानपुर आया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक दयानंद पांडे की गिरफ्तारी के बाद से उनका परिवार भूमिगत हो गया है।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक दयानंद पांडे ने पूछताछ में बताया कि वह डबल एमए कर चुका है। इसके अलावा वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा पास कर वायु सेना में अल्प समय के लिए नॉन कमिशन्ड अफसर भी रहा है।
महाराष्ट्र एटीएस ने गुरुवार को करीब 11 बजे दयानंद पांडे को गुपचुप ढंग से विशेष मुख्य जिला न्यायाधीश (सीजेएम) लखनऊ के समक्ष उनके आवास पर पेश किया। सीजेएम ने महाराष्ट्र एटीएस को 16 नवंबर तक दयानंद पांडे को ट्राजिट रिमांड पर लेने की अनुमित दे दी।
दयानंद पांडे को ट्रांजिट रिमांड पर लेने से पहले महाराष्ट्र एटीएस ने गुरुवार सुबह उसका मेडिकल परीक्षण कराया, जिसमें उन्हें यात्रा के लिए स्वस्थ बताया गया।
सूत्रों के मुताबिक दयानंद की रिमांड मिलने के बाद महाराष्ट्र एटीएस टीम उसे लेकर मुंबई जाने के लिए लखनऊ हवाई अड्डे रवाना हो गई।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र एटीएस ने गत सोमवार को मुंबई की अदालत में एक अर्जी दाखिल कर उत्तर-प्रदेश के एक प्रमुख हिंदू नेता से पूछताछ करने की इजाजत मांगी थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।