अदालत ने 'सत्यार्थ प्रकाश' के प्रकाशन पर लगी रोक हटाई
नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को धार्मिक पुस्तक 'सत्यार्थ प्रकाश' के प्रकाशन पर लगाई गई रोक को हटा दिया। इस पुस्तक को 135 वर्ष पहले सामाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती ने लिखा था।
निचली अदालत द्वारा लगाई गई रोक को पलटते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शिव नारायण ढींगड़ा ने सार्वदेशिक प्रेस प्रकाशन पर इस पुस्तक के प्रकाशन और वितरण पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
यह याचिका उस्मान घानी और उनके मित्र ने दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि इस पुस्तक से मुस्लिम लोगों की धार्मिक भावना आहत होती है।
ढींगड़ा ने कहा, "धार्मिक पुस्तकों की भावना को उजागर करना या फिर समाज के किसी वर्ग की धार्मिक भावना को परिभाषित करना अदालत का काम नहीं है।"
न्यायाधीश ने कहा, "कुरान के खिलाफ हिंदुओं की याचिका या फिर गीता या सत्यार्थ प्रकाश के खिलाफ मुसमानों की याचिका का मकसद सस्ती लोकप्रियता हासिल करना और समाज में अधिक विद्वेष पैदा करना होता है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।