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विस चुनाव: 65,000 सुरक्षाबलों के बावजूद क्षेत्रों में जाने से डर रहे हैं बस्तर के प्रत्याशी

By Staff
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दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़), 10 नवंबर (आईएएनएस)। बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में 65,000 से अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद भी प्रत्याशी वहां जाने से डर रहे हैं।

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़), 10 नवंबर (आईएएनएस)। बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में 65,000 से अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद भी प्रत्याशी वहां जाने से डर रहे हैं।

बस्तर इलाके में कुल 12 सीटें हैं। 11 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर शुक्रवार को मतदान होने हैं। राज्य में पहले चरण के दौरान 39 सीटों के लिए मतदान होने हैं, लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव का कोई माहौल नहीं है। इन क्षेत्रों में 1980 के दशक से ही विद्रोहियों की समानांतर सरकार है।

यह क्षेत्र अब तक लगभग 1,100 हत्याओं का गवाह बन चुका है।

स्थिति यह है कि राज्य में जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त एक मात्र नेता महेंद्र कर्मा भी इन दूरवर्ती क्षेत्रों में जाने से कतरा रहे हैं।

विपक्ष के नेता महेंद्र कर्मा दंतेवाड़ा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें तीसरी बार अपनी जीत का भरोसा है। लेकिन वे कहते हैं कि "जीवन को खतरे में डालने की कोई जरूरत नहीं है। मैं केवल सुरक्षित क्षेत्रों में ही और पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त के साथ प्रचार कर रहा हूं। मुझे पता है कि नक्सली हमेशा हमले के फिराक में हैं।''

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी ने घोषणा कर रखी है कि चुनाव के बहिष्कार के उसके आदेश का उल्लंघन करने वाले नेताओं को वह निशाना बनाएगी।

नक्सलियों ने नामांकन के पहले दिन 20 अक्टूबर को बीजापुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 12 जवानों की हत्या तथा 9 नवंबर को चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं की हत्या कर अपने संकल्प की बानगी पेश कर दी है।

बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक ए.उपाध्याय बस्तर में पर्याप्त सुरक्षा बल की बात करते हैं। प्रत्याशी पर्याप्त पुलिस सुरक्षा लेकर चुनाव प्रचार कर सकते हैं। लेकिन खतरा मोल लेने के लिए कोई भी तैयार नहीं है।

दंतेवाड़ा जिले की कोंटा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार कावासी लखमा तीसरी बार जीतने की तैयारी में हैं। लेकिन नक्सलियों से बुरी तरह डरे हुए हैं। वह पुलिस के भरोसे दूरवर्ती क्षेत्रों में जाने को तैयार नहीं हैं।

बीजापुर से भाजपा उम्मीदवार महेश गर्ग कहते हैं कि "मेरा पूरा क्षेत्र नक्सलवाद प्रभावित है। कौन-सा क्षेत्र सुरक्षित है और कौन असुरक्षित, यह तो नहीं पता, लेकिन राहत की बात यह कि मेरे प्रतिद्वंद्वी के सामने भी वही समस्या है।''

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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