भारत-कतर रक्षा व ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ाएंगे सहयोग (लीड-1)
दोहा, 10 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कतर यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए दो समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही आर्थिक और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कई उपायों पर चर्चा की गई।
दोहा, 10 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कतर यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए दो समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही आर्थिक और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कई उपायों पर चर्चा की गई।
इन समझौतों में से एक सुरक्षा और कानून से जुड़ा है जबकि दूसरा समझौता रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने से संबंधित है। इन समझौतों पर रविवार शाम को हस्ताक्षर किए गए।
इस बीच आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के बीच मुक्त व्यापार समझौता वर्ष 2009 के शुरू में हो सकता है।
इससे पहले तीन दिवसीय खाड़ी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री रविवार शाम ओमान से यहां पहुंचे। उन्होंने कतर के प्रधानमंत्री शेख हमद बिन जासेम बिन जबॉर अल थानी के साथ ऊर्जा, व्यापार और आर्थिक क्षेत्र में सहयोग के बारे में बातचीत की।
दोनों नेताओं ने इस बात पर चर्चा की कि कैसे ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों के संबंधों में और अधिक स्थायित्व लाया जाए। बातचीत में निवेश और दीर्घावधि की भागीदारी के संबंध में भी बातचीत की गई।
उल्लेखनीय है कि भारत कतर से प्रति वर्ष 75 लाख टन तरल प्राकृतिक गैस का आयात करता है।
दोनों देशों के बीच बातचीत का लक्ष्य ऊर्जा क्षेत्र में क्रेता-बिक्रेता की भूमिका से परे मजबूत संबंध बनाने का था।
सुरक्षा और कानून से जुड़े समझौते में आतंकवाद व मादक पदार्थो की तस्करी से निपटने के लिए सूचनाओं और तथ्यों का अदान-प्रदान करने की बात कही गई है।
रक्षा क्षेत्र से जुड़े समझौते में दोनों पक्षों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और विशेषज्ञों की आवाजाही को बढ़ाने की योजना है।
सोमवार को प्रधानमंत्री ने कतर के शासक शेख हमद बिन खलिफा अल थानी से मुलाकात की। साथ ही भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में उन्होंने शिरकत किया।
समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े बाजार और मजबूत आधार के बल पर वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था नौ प्रतिशत के रास्ते पर लौटने में सफल होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, "वर्तमान आर्थिक और वित्तीय संकट के कारण आने वाले समय में विकास की कुछ संभावनाओं पर बादल छा गए हैं।"
उन्होंने कहा, "यद्यपि, मैं आश्वस्त हूं कि लंबे समय में हमारी अर्थव्यवस्था का परिदृश्य मजबूत है। हम आधारभूत मजबूती, बड़े बाजार, विविध औद्योगिक आधार और मजबूत व आधुनिक निजी क्षेत्र के बल पर नौ फीसदी विकास के रास्ते पर लौटेंगे।"
इससे पहले रविवार को मस्कट में ओमानी व्यापारिक समुदाय को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा था कि वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की दर 7.5 फीसदी बनी रहेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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