भूटान के नए नरेश के राज्याभिषेक समारोह में नेपाल की उपेक्षा
काठमांडू, 9 नवंबर (आईएएनएस)। भूटान के नए नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के राज्याभिषेक के अवसर पर नए गणतांत्रिक राष्ट्र नेपाल की पूरी तरह उपेक्षा की गई। नेपाल के राष्ट्रपति रामबरन यादव या प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' को इस अवसर पर आमंत्रित नहीं किया गया।
काठमांडू, 9 नवंबर (आईएएनएस)। भूटान के नए नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के राज्याभिषेक के अवसर पर नए गणतांत्रिक राष्ट्र नेपाल की पूरी तरह उपेक्षा की गई। नेपाल के राष्ट्रपति रामबरन यादव या प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' को इस अवसर पर आमंत्रित नहीं किया गया।
इसके विपरीत भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को विशिष्ट अतिथि का सम्मान दिया गया और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके परिवार के सदस्य और विदेशमंत्री प्रणव मुखर्जी प्रमुख मेहमानों की सूची में शामिल थे।
केवल भारत और भूटान के लिए नेपाल के राजदूत दुर्गेशमान सिंह को समारोह में आमंत्रित किया गया था।
इस उपेक्षा पर प्रतिक्रिया स्वरूप न तो नेपाली राष्ट्रपति रामबरन यादव ने और न ही प्रधानमंत्री प्रचंड ने भूटान के नए नरेश को कोई बधाई संदेश भेजा। इसके विपरीत दोनों नेताओं ने रविवार को कंबोडिया के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर वहां के राजा नरोत्तम सिंहानुक को शुभकामना संदेश भेजा है।
भूटान और नेपाल की माओवादी सरकार के बीच मनमुटाव का प्रमुख कारण दो दशकों से अधिक समय से पूर्वी नेपाल के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले 100,000 भूटानी शरणार्थी हैं। इनको भूटानी सरकार ने 1980 के दशक में देश से बाहर खदेड़ दिया था।
दोनों देशों के बीच 12 से भी अधिक वार्ताओं के बावजूद भूटान ने इनको वापस लेने से इनकार कर दिया है। इनमें से करीब 5,000 शरणार्थियों को अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में बसाया जा चुका है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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