विस चुनाव : मप्र में भाजपा व कांग्रेस के लिए अपने ही बने मुसीबत
भोपाल, 8 नवम्बर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद एक बात साफ हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के लिए अपने (बागी) ही मुसीबत बन गए हैं। इन दोनों प्रमुख दलों को कई क्षेत्रों में बागियों से मुकाबला करना होगा।
भाजपा और कांग्रेस ने इस बार चुनाव में बड़े पैमाने पर बदलाव करते हुए नए चेहरों को मैदान में उतारा है। इनकी इसी पहल के चलते विद्रोह ने जोर पकड़ा। असंतोष की आग जिला स्तर से प्रदेश की राजधानी होते हुए दिल्ली तक पहुंची। जब पार्टी ने असंतुष्टों की बात को ज्यादा तरजीह नहीं दी तो वे बगावत पर उतर आए और उन्होंने दूसरे दलों का दामन थामकर अपने ही दल को चुनौती देने की कोशिश की।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान बुंदेलखंड में हुआ है, जहां तीन बड़े नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया। पूर्व शिक्षा मंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश नायक भारतीय जनशक्ति (भाजश) में गए हैं और भाजश ने उन्हें पवई (पन्ना) से उम्मीदवार भी बनाया है। इसी तरह छतरपुर के पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह ने पार्टी का टिकट ठुकराते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया और वे राजनगर से किस्मत आजमा रहे हैं। पूर्व जनसंपर्क मंत्री मानवेन्द्र िंसंह ने पार्टी छोड़कर महाराजपुर से बतौर निर्दलीय नामांकन भरा है।
ग्वालियर चंबल अंचल में भी कांग्रेस को झटका लगा है जहां पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ल ने बसपा का दामन थामा है। बसपा ने उन्हें ग्वालियर दक्षिण से उम्मीदवार भी बनाया है। इसके अतिरिक्त मुंगावली विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक आनंद पालीवाल ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय किस्मत आजमाने का निर्णय लिया है।
कांग्रेस की तरह ही भाजपा को भी बागियों ने मुश्किल में डाल रखा है। सीधी के सांसद मानक सिंह ने समाजवादी पार्टी का दामन थामते हुए चितरंगी क्षेत्र से नामांकन भरा है। अनूपपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष नागेन्द्रनाथ भाजपा छोड़कर कोतमा से भाजश के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। डिन्डोरी के विधायक दुली चन्द उरैती ने शाहपुर से भाजश के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। सतना जिले में तो भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है जहां पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष रामोराम गुप्ता ने ही निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके अतिरिक्त रीवा संभाग के प्रवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह ने रामपुर बघेलान और पूर्व मंत्री राम हित गुप्त के बेटे विजय गुप्ता ने अमर पाटन से बतौर निर्दलीय पर्चा भरा है।
भाजपा में शुरू हुआ बगावत का दौर यही नहीं थामा है। भिंड से विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने टिकट न मिलने से नाराज होकर सपा का न केवल दामन थामा है बल्कि चुनाव मैदान में ताल भी ठोकी है। इसी तरह भगवान दास सबनानी ने बतौर निर्दलीय भोपाल के हुजूर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भरा है। शिवपुरी से गणेश गौतम और विदिशा के गंज बासौदा से पूर्व संसदीय सचिव अजय सिंह रघुवंशी भाजश के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
इस तरह एक बात साफ हो जाती है कि कांग्रेस और भाजपा में बागियों की लम्बी चौड़ी फेहरिस्त है जो उन्हें पर्याप्त नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है। दोनों ही दलों को विरोधियों से मुकाबला करने के साथ अपनों से भी जूझना पड़ेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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