विस चुनाव : कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है बसपा !
नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। छह राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद विश्लेषकों में अब इस बात पर चर्चा है कि बहुजन समाज पार्टी(बसपा) चार उत्तरी राज्यों में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती हैं।
यहां तक कि अन्य पार्टियों के नेता भी इस बात को स्वीकारते हैं कि बसपा दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में एक ताकत के रूप में उभरेगी। चूंकि बसपा के पास दलितों का एक ठोस जनाधार है, लिहाजा पार्टी अन्य जातियों के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर अधिक-से-अधिक सीटें जीतने की रणनीति अपनाएगी।
फिलहाल, बसपा के खाते में राजस्थान व मध्यप्रदेश में दो विधायक तथा छत्तीसगढ़ में एक विधायक हैं। दिल्ली में बसपा का खाता खुलना अभी बाकी है। लेकिन, ये आंकड़े असल कहानी को समझने के लिए नाकाफी हैं। दरअसल, इस बात को हर कोई स्वीकार रहा है कि बसपा का जनाधार बढ़ रहा है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की प्राध्यापक सुधा पई कहती हैं कि पिछले चुनावी आंकड़ों के अनुसार बसपा कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए खतरा बन चुकी है। लेकिन चूंकि कांग्रेस व बसपा का समर्थक वर्ग एक ही हैं, लिहाजा बसपा भाजपा के बदले कांग्रेस के लिए ज्यादा घातक है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बसपा इन राज्यों में सरकार गठन के मामले में भले ही निर्णायक स्थिति में न रहे, लेकिन कांग्रेस का खेल तो बिगाड़ ही सकती है। राजनीतिक विश्लेषक जी.एल.वी. नरसिम्हा राव महसूस करते हैं कि आगामी चुनावों में बसपा के लिए जीवन-मरण का सवाल होगा।
राव के अनुसार, उत्तरप्रदेश में सरकार बनाने के बाद कर्नाटक चुनावों में बसपा कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई थी। लिहाजा ताजा चुनावों में वह कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगी, इसकी कोई गांरटी नहीं है। हां, यदि वह इन राज्यों में अपने परंपरागत मत हासिल करने में कामयाब हो गई, तो इससे कांग्रेस की मुश्किल जरूर बढ़ जाएगी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्राध्यापक कमल मित्र चिनाय भी बसपा को कांग्रेस के लिए घातक मानते हैं।
लेकिन केंद्रीय गृहराज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का मानना है कि बसपा एक मौकापरस्त पार्टी है और मतदाता उसे अच्छी तरह जानते हैं।
दूसरी ओर बसपा नेता शाहिद सिद्दीकी का कहना है कि बसपा देश की एक बढ़ती हुई राजनीतिक ताकत है। समाज के हर वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करना पार्टी की रणनीति है। ताजा विधानसभा चुनावों तथा अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद बसपा देश की राजनीतिक तस्वीर बदल देगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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