सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, उत्तर भारतीय और भारतीय में क्या अंतर है?
नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर भारतीयों के खिलाफ घृणा भड़काने के कारण महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "हम सभी भारतीय हैं और विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले लोगों के बीच कोई अंतर नहीं है।"
न्यायमूर्ति बी. एन. अग्रवाल और न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी की खंडपीठ ने कहा, "उत्तर भारतीय और भारतीय में क्या अंतर है। हम सभी भारतीय है।"
खंडपीठ ने मुंबई में बिहार के युवक राहुल राज और एक अन्य उत्तर भारतीय युवक की मौत मामले की न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित करते हुए यह बात कही।
अदालत ने यह आदेश भी दिया कि इस संबंध में सभी मामलों की सुनवाई एक साथ होगी।
मंगलवार को शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो इस तरह का घृणा का अभियान देश में नहीं पनपता।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।