अमेरिका के नस्लीय इतिहास का पन्ना पलटने में सहायक होगी ओबामा की जीत
सेन फ्रांसिस्को, 5 नवंबर (आईएएनएस)। चुनाव के कु छ दिन पूर्व एक 11 वर्षीय अंग्रेज लड़की कैलीफोर्निया के ग्रमीण इलाके में स्कूल से जब घर लौटी तो वह एक नारा लगा रही थी। नारा था : "जब रोजा बैठीं, तब मार्टिन चल पाए , इसलिए जब बराक दौड़ेंगे, तभी हम उड़ पाएंगे।''
सेन फ्रांसिस्को, 5 नवंबर (आईएएनएस)। चुनाव के कु छ दिन पूर्व एक 11 वर्षीय अंग्रेज लड़की कैलीफोर्निया के ग्रमीण इलाके में स्कूल से जब घर लौटी तो वह एक नारा लगा रही थी। नारा था : "जब रोजा बैठीं, तब मार्टिन चल पाए , इसलिए जब बराक दौड़ेंगे, तभी हम उड़ पाएंगे।''
दरअसल, यह नारा अमेरिका में नागरिक अधिकारों की लड़ाई के इतिहास तथा बराक ओबामा की अभूतपूर्व जीत के पीछे छुपे अर्थ को बयान करता है। उस आंदोलन का सार प्रस्तुत करता है, जिसने पिछले 53 सालों के दौरान अमेरिका में कानून व समाज को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। उस समय रोजा पार्क्स ने मोंटगोमरी अल्बामा में अश्वेतों की अलग की गई एक बस को पीछे मोड़ने से इनकार कर दिया था।
वर्ष 1955 में उनके इस प्रतिरोध ने एक ऐसी चिंगारी भड़काई थी, जिसने नागरिक अधिकारों की लड़ाई में शोला भड़काने का काम किया था। उसी प्रतिरोध ने 1963 के 'वाशिंगटन मार्च' की पृष्ठभूमि तैयार की थी, जहां मार्टिन लूथर किंग ने अपना ऐतिहासिक भाषण 'आय हैव ए ड्रीम' (मेरे पास एक सपना है) दिया था।
किंग का वह सपना मंगलवार के चुनाव में ओबामा की जीत के साथ पूरा हुआ। एक केनियाई छात्र व एक श्वेत कान्सस महिला के बेटे ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में 20 जनवरी को पद संभालेंगे।
लंबे समय तक नस्लीय भेदभाव की भूमि रहे अमेरिका में जहां एक तरफ बदलाव की इस बयार से लोगों में अलग तरह की खुशी है, खुद ओबामा के प्रतिद्वंद्वी मैक्के न ने उन्हें बधाई दी है, वहीं एक 23 वर्षीय वेब डिजाइनर इबादागेह एसोइमेमे के अनुसार एक अश्वेत राष्ट्रपति की जीत कोई बड़ा चमत्कार नहीं है।
एसोइमेमे के अनुसार ओबामा अमेरिका से गैरबराबरी को रातोंरात मिटा नहीं पाएंगे। चार सालों के भीतर भी वह कोई बड़ा बदलाव नहीं ला पाएंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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