मध्यप्रदेश में पार्टियों के मौन से असंतुष्टों के हौसले बुलंद
भोपाल, 5 नवम्बर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस द्वारा उम्मीदवारों की सूची जारी किए जाने के बाद नेताओं व कार्यकर्ताओं में असंतोष की आग लगातार भड़कती ही जा रही है।
अब तक ये दोनों ही दल इन असंतुष्टों को मना पाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। असंतुष्टों के खिलाफ किसी भी तरह का सख्त कदम न उठाए जाने का ही नतीजा है कि असंतोष के स्वर लगातार तेज हो रहे हैं।
मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 54 विधायकों का टिकट काटते हुए 217 उम्मीदवारों के नाम तय किए हैं। पार्टी के उम्मीदवार बदलने के फैसले ने ही असंतोष की आग को भड़काया। आलम यह है कि कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने से लेकर पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ करने की हद तक पार कर गए हैं। भोपाल से लेकर बैतूल, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर, छतरपुर, भिन्ड, बड़वानी और सतना में बगावत की तस्वीर साफ नजर आने लगी है।
जिला स्तर पर तो उम्मीदवारों के खिलाफ स्वर मुखरित हुए ही हैं, कई क्षेत्रों के कार्यकर्ता तो प्रदेश कार्यालयों में भी धमाचौकड़ी मचा चुके हैं। भिन्ड जिले के कार्यकर्ताओं ने तो दिल्ली तक पहुंचकर पार्टी के फैसले पर विरोध दर्ज कराया। इतना कुछ होने के बावजूद भी पार्टी ने अब तक किसी भी नेता और कार्यकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह सिसौदिया ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान कहा कि जो कुछ भी हो रहा है उसे असंतोष नहीं कहा जा सकता। पार्टी कार्यकर्ता अपनी बात कहने नेताओं के पास आ रहे हैं। सात नवंबर नामांकन भरने का अंतिम दिन है। इसके बाद होने वाले विरोध को भाजपा अनुशासनहीनता मानेगी और फिर कोई सख्त कदम उठाएगी।
उधर, कांग्रेस ने अब तक 208 उम्मीदवारों के नाम तय किए हैं और उसमें भी असंतोष जोर पकड़ता जा रहा है। शाजापुर के कालापीपल विधान सभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने तो मंगलवार को प्रदेश कार्यालय के समक्ष जमकर हंगामा किया। सीधी जिले में भी विरोध की आग भड़कने लगी है। कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता के. क़े मिश्रा का कहना है कि क्षणिक विरोध को शांत कर दिया जाएगा। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है, मगर अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पार्टी ऐसे लोगों से सख्ती से निपटेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**