अमेरिकी अदालत में फिर पहुंचा यूनियन कार्बाइड के खिलाफ मामला
न्यूयार्क, 4 नवंबर (आईएएनएस)। न्यूयार्क की एक अदालत ने यूनियन कार्बाइड के खिलाफ भोपाल के निवासियों के एक मामले को पुन: स्वीकार कर लिया है। यूनियन कार्बाइड के कारखाने के आस-पास रहने वाले नागरिकों का दावा है कि वर्ष 1984 में हुए गैस रिसाव के कारण वे गंभीर बीमारियों से परेशान हैं।
न्यूयार्क, 4 नवंबर (आईएएनएस)। न्यूयार्क की एक अदालत ने यूनियन कार्बाइड के खिलाफ भोपाल के निवासियों के एक मामले को पुन: स्वीकार कर लिया है। यूनियन कार्बाइड के कारखाने के आस-पास रहने वाले नागरिकों का दावा है कि वर्ष 1984 में हुए गैस रिसाव के कारण वे गंभीर बीमारियों से परेशान हैं।
गौरतलब है कि 1984 में 2-3 दिसंबर की रात भोपाल के कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाईनाइट गैस के रिसाव के कारण 3,000 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और काफी अधिक लोगों की मौत बाद में हुई थी।
कारखाने के आस-पास रहने वाले लोगों के एक समूह ने वर्ष 2004 में एक मुकदमा दायर किया था। उनका दावा है कि गैस रिसाव के बाद इलाके में भूमि और जल प्रदूषण के कारण वे गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।
इस केस को वर्ष 2006 और 2007 में एक अदालत खारिज कर चुकी है। सोमवार को मामले को फिर स्वीकार करते हुए अमेरिका में मैनहट्टन स्थित द्वितीय अपीलीय सर्किट अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने मामले को खारिज करने की यूनियन कार्बाइड की याचिका पर विचार करते समय वादी के दावे पर अधिक ध्यान नहीं दिया।
अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के वकील एच.राजन शर्मा ने कहा कि इससे भोपाल के भूमिगत जल को प्रदूषित करने में कार्बाइड की भूमिका की विस्तृत जांच संभव हो पाएगी।
शर्मा ने कहा कि मुकदमे में करीब 20,000 लोगों हुए व्यक्तिगत नुकसान के लिए हर्जाने की मांग की गई है। अब काबाईड का स्वामित्व डाओ केमिकल के पास है। काबाईड ने 1989 में गैस पीड़ितों को 47 करोड़ डॉलर का मुआवजा दिया था।
यूनियन कार्बाइड के सोमवार को जारी बयान में कहा गया है कि इस निर्णय को एक फैसले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यूनियन कार्बाइड ने दावा किया कि मामला अंतत: खारिज हो जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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