उत्तर भारतीयों पर हमले का मुद्दा और ब्लॉग
नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर हमले को लेकर हिंदी ब्लॉग जगत में जहां बहसों का बाजार गर्म है वहीं कुछ ब्लॉगों पर हमले के बहाने सीख देने का भी प्रयास किया जा रहा है।
नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर हमले को लेकर हिंदी ब्लॉग जगत में जहां बहसों का बाजार गर्म है वहीं कुछ ब्लॉगों पर हमले के बहाने सीख देने का भी प्रयास किया जा रहा है।
बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश की मौजूदा स्थितियों को लेकर ब्लॉग जगत में चर्चा के बहाने कई कड़वी बातें भी कही जा रही हैं। मसलन 'मोहल्ला' ब्लॉग पर हिंदी पट्टी के छात्रों से गुजारिश नामक एक लंबी पोस्ट है। इसमें वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने एक शोधपरक लेख प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा है कि 'आग से आग नहीं बुझती है।'
छात्रों को संबोधित करते हुए हरिवंश ने कहा है, "आप छात्रों को शायद अपना इतिहास मालूम हो। आप उदारीकरण के आसपास या बाद की पौध हैं। उदारीकरण के पहले राजनीति विचारों, सिद्धांतों और उसूलों से संचालित होती थी। उदारीकरण के बाद की राजनीति आर्थिक सवालों, प्रगति, विकास और व्यापार के आसपास घूम रही है। यह विचार की राजनीति के दिनों का नारा है, जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है। इस नारे में आपकी ताकत की कहानी लिखी हुई है।"
पोस्ट में महाराष्ट्र में हुई हिंसा की प्रतिक्रिया में कोई भी गलत कदम नहीं उठाने की सलाह दी गई है। हिंदी पट्टी में उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों की स्थापना पर बल देते हुए पोस्ट में कहा गया है, "अपने राजनेताओं को बाध्य कीजिए कि वे सृजन और निर्माण के कामों में राजनीति नहीं करें।"
प्रमुख कंसल्टेंसी 'मैकेंजी एंड कंपनी' की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए 'मोहल्ला' के इस पोस्ट में कहा गया है कि बदलती दुनिया में रिटेल व्यवसाय, रेस्टोरेंट, स्वास्थ्य सेवा में बड़े पैमाने पर अवसर पैदा होने वाले हैं। पोस्ट में कहा गया है, "क्या हम अपने यहां ऐसे संस्थान बना सकते हैं जहां से ऐसे कुशल और प्रशिक्षित युवा निकलें, जिनकी दुनिया में मांग हो?"
हिंदी ब्लॉगों पर ऐसे कई पोस्ट इन दिनों पढ़ने को मिल रहे हैं जहां महाराष्ट्र में हुई हिसा पर चर्चा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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