प्रधानमंत्री के साथ बैठक के पहले उद्योग जगत से खतरे की चेतावनी मिलने की आशंका
नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। मौजूदा वित्तीय संकट और इसके भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में प्रधानमंत्री के साथ सोमवार को तय मुलाकात के पहले औद्योगिक और व्यापारिक संगठनों के प्रमुख खतरे की चेतावनी दे सकते हैं।
हाल के हफ्तों में भारत में मुद्रा तरलता की कमी पर रिजर्व बैंक और सरकार का काफी अधिक ध्यान था। परंतु अमेरिकी मंदी और वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभाव से पैदा समस्या का यह केवल एक हिस्सा है।
उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को बड़ी संख्या में नौकरियों में कटौती, नए रोजगार पर रोक, नए निवेश पर रोक और निर्यात में कमी का भय साफ दिख रहा है। इससे देश की पिछले तीन वर्षो से जारी नौ प्रतिशत की विकास दर में गिरावट आ सकती है।
सोमवार की बैठक में आमंत्रित फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा,"वास्तव में इन चीजों के संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। इससे निपटने के लिए स्थायी और संपूर्ण कदम शीघ्र उठाने होंगे।"
बैठक में कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के अध्यक्ष के.वी.कामथ और एसोचैम के अध्यक्ष सज्जन जिंदल के भी शामिल होने की उम्मीद है।
बैठक में अंबानी बंधुओं मुकेश और अनिल, भारतीय एयरटेल के सुनील मित्तल, डीएलएफ अध्यक्ष के.पी. सिंह और इंफोसिस के सह-अध्यक्ष नंदन नीलकेणी को भी आमंत्रित किया गया है।
वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के उपायों पर चर्चा के लिए वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने भी मंगलवार को वाणिज्यिक बैंकों के कार्यकारी प्रमुखों की बैठक बुलाई है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति जार्ज बुश ने वित्तीय संकट से निपटने के उपायों पर चर्चा के लिए 15 नवंबर को दुनिया भर के नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में मनमोहन सिंह को भी आमंत्रित किया गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*