इस सर्दी में जम्मू आने से हिचकिचा रहे हैं कश्मीरी
जम्मू, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर में हर साल की तरह इस बार भी नवंबर में राज्य की शीतकालीन राजधानी बनने जा रहे जम्मू को सजाया-संवारा जा रहा है लेकिन अन्य वर्षो से इतर इस बार घाटी के आम लोग यहां आने से हिचक रहे हैं।
जम्मू के एक प्रापर्टी डीलर रवि शर्मा ने कहा,"इस साल यहां आने वाले कश्मीरियों की संख्या काफी कम है। मुझे लगता है कि उनकी संख्या में 70 प्रतिशत कमी आई है।"
उन्होंने कहा, "अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि आवंटन के खिलाफ प्रदर्शनों के कारण राज्य के दोनों हिस्सों के नागरिकों के बीच अविश्वास ,भय और संदेह बढ़ गया है।"
गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सर्दी और गर्मी के मौसम के लिए दो अलग-अलग राजधानियां हैं। 100 साल से अधिक समय से जारी इस परम्परा को दरबार परिवर्तन कहा जाता है।
दरबार परिवर्तन के लिए सरकारी कार्यालय श्रीनगर में शुक्रवार को बंद होंगे और 10 नवंबर को जम्मू में खुलेंगे। सर्दियों में न केवल 10,000 सरकारी कर्मचारी ही श्रीनगर से जम्मू जाते हैं, वरन दो लाख कश्मीरी नागरिक भी घाटी की ठंड से बचने के लिए जम्मू पहुंचते हैं।
आमतौर पर ये लोग छह महीने तक किराए के घरों में या पेइंग गेस्ट बन कर जम्मू में रहते हैं। कुछ कश्मीरी लोगों के जम्मू में अपने आवास भी हैं। परंतु अमरनाथ भूमि विवाद के कारण इस बार आम कश्मीरी को जम्मू आने में सुरक्षा के खतरे का भय महसूस हो रहा है।
अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति के प्रवक्ता तिलक राज शर्मा कहा कि हमने इस भय के माहौल को पैदा नहीं किया और विश्वास बहाल करना भी हमारी जिम्मेदारी नहीं है। कश्मीरी नागरिक जम्मू आ सकते हैं और उनका व्यवहार ही उनकी सुरक्षा की गारंटी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।