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उपग्रह निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है भारत

By Staff
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चेन्नई, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में चांद को छूने की कोशिश कर रहा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वैश्विक उपग्रह बाजार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है। इसरो का अनुमान है कि अगले दशक में 50 उपग्रहों की जरूरत होगी, जिसका बाजार करीब 1.5 अरब डॉलर का है।

चेन्नई, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में चांद को छूने की कोशिश कर रहा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वैश्विक उपग्रह बाजार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है। इसरो का अनुमान है कि अगले दशक में 50 उपग्रहों की जरूरत होगी, जिसका बाजार करीब 1.5 अरब डॉलर का है।

इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए इसरो ने छोटे उपग्रहों के निर्माण के लिए एक टीम का गठन किया है। इसरो 2009-10 में ऐसे ही दो उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा।

इसरो से छोटे उपग्रह परियोजना के निदेशक डी. वी. राघव मूर्ति ने आईएएनएस से कहा, "वजन व आकार कम होने की वजह से छोटे उपग्रहों की मांग है। ये रॉकेट से कक्ष में स्थापित किए जाने की खर्च को भी कम कर देते हैं। साथ ही साथ छोटे उपग्रह बनाने में आने वाले खर्च और समय में भी कमी आती है।"

उन्होंने कहा कि इन उपग्रहों का प्रदर्शन भी अच्छा होता है और अगर कक्ष समान हो तो एक साथ कई उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जा सकता है।

इसरो के पास दो तरह के छोटे उपग्रहों- माइक्रो और मिनी की दक्षता है। माइक्रो उपग्रह का वजन 100 किलोग्राम है और वह 30 से 40 किलोग्राम का उपकरण अपने साथ ले जा सकते हैं।

इसी तरह मिनी सेटेलाइट का वजन 400 किलोग्राम होता है और वे 200 किलोग्राम के उपकरण अपने साथ ले जाने में सक्षम है।

इसरो इंसेट सीरीज के संचार उपग्रहों का भी निर्माण कर रहा है। इंसेट-4 सीरीज के उपग्रहों का वजन करीब चार टन होता है और इस पर तीन अरब रुपये की लगात आती है।

इस साल अप्रैल में इसरो ने अपने पहले मिनी उपग्रह 'इंडियन मिनी सेटेलाइट' को पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) के जरिये प्रक्षेपित किया था जिसका वजन 85 किलोग्राम था।

मूर्ति ने कहा कि आईएमएस के निर्माण में करीब 50 करोड़ रुपये की लागत आई थी। निर्माण में आने वाली लागत उपग्रहों द्वारा उपकरणों को ले जाने संबंधी क्षमता के ऊपर निर्भर करता है।

छोटे उपग्रहों की क्षमता और खूबियों को देखते हुए कई अंतरिक्ष एजेंसियां इसके निर्माण में लगी हुई हैं।

इसरो का व्यावसायिक अंग एंट्रिक कारपोरेशन के कार्यकारी निदेशक के. आर. सिद्धार्थ मूर्ति ने कहा, "दूसरों के लिए छोटे उपग्रह का निर्माण कर हमने छह करोड़ डालर के राजस्व का लक्ष्य रखा है।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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