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भारत ने चिंता जताई, श्रीलंका ने तमिलों की सुरक्षा का भरोसा दिया (लीड-2)

By Staff
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नई दिल्ली/चेन्नई, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। सरकार ने रविवार को श्रीलंका से कहा कि वह तमिल विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में फंसे आम नागरिकों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करे, लेकिन उसने स्पष्ट कर दिया कि भारत सरकार की योजना सेना भेजने की नहीं है।

यह बात विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के वरिष्ठ सलाहकार बसिल राजपक्षे से मुलाकात के दौरान कही।

मुलाकात के बाद जारी एक संयुक्त बयान में राजपक्षे ने कहा है, "हम मानवीय जरूरतों पर ध्यान देंगे और भारत को सभी तरह के आश्वासन दिए गए हैं।"

राजपक्षे ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ जारी संघर्ष में तमिल नागरिकों की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी मुखर्जी को जानकारी दी।

बयान के मुताबिक प्रभावित इलाकों में आम लोगों की सहायता के लिए भारत 800 टन राहत सामग्री भेजेगा।

श्रीलंका के उत्तरी प्रायद्वीप में सेना लिट्टे द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र को हासिल करने की कोशिश कर रही है। यहां चल रही भारी गोलीबारी के कारण हजारों की तादाद में लोग विस्थापित हुए हैं। तमिल राजनीतिज्ञों के मुताबिक क्षेत्र में भोजन और दवाओं की कमी है।

श्रीलंकाई राष्ट्रपति के भाई राजपक्षे शनिवार शाम को नई दिल्ली आए और उन्होंने विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के. नारायणन और रक्षा सचिव विजय सिंह से भी मुलाकात की।

उधर, चेन्नई में मुखर्जी ने कहा कि श्रीलंका में तमिलों की स्थिति पर मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने वादा किया है कि उनकी पार्टी डीएमके के सांसद इस्तीफे पर जोर नहीं देंगे।

श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों के खिलाफ जारी सैन्य कार्रवाई में आम तमिलों की खराब स्थिति को लेकर डीएमके ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।

उनके साथ तीन घंटे तक चली बैठक के बाद मुखर्जी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "करुणानिधि ने हमें आश्वस्त किया है कि डीएमके इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देगी।"

डीएमके और सहयोगी पार्टियों के सांसदों ने श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों के खिलाफ जारी सैन्य कार्रवाई को रोकने के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाया था। सांसदों ने कहा था कि केंद्र सरकार अगर इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है तो वे इस्तीफा दे देंगे। तमिल नेताओं का कहना है कि श्रीलंका में जारी लड़ाई में आम तमिल नागरिक बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

मुखर्जी ने कहा, "श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच संघर्ष विराम के लिए भारत जोर नहीं देगा, क्यों कि हम संघर्ष विराम समझौते के पक्ष नहीं हैं। समस्या के समाधान के लिए शांतिपूर्ण और राजनीतिक प्रक्रियाओं को अपनाया जाना चाहिए।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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