भारत का वित्तीय क्षेत्र स्थिर और मजबूत : सुब्बाराव
मुंबई, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। व्यावसायिक बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ मौद्रिक नीति की छमाही समीक्षा के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने निम्न बातें कहीं।
-मौद्रिक नीति की छमाही समीक्षा कई जटिल नीतिगत चुनौतियों के मद्देनजर की गई है। वैश्विक वित्तीय व्यवस्था असाधारण रूप से बहुआयामी तरीके से संकट ग्रस्त हुआ है।
-वर्तमान में वैश्विक वित्तीय स्थिति 'ग्रेट डिप्रेशन' के बाद सबसे खराब दौर में है। संकट की प्रकृति और इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं जारी है। इससे निपटने के लिए कई उपायों की घोषणा की गई है।
-भारत का वित्तीय क्षेत्र स्थिर और मजबूत बना हुआ है। वित्तीय मजबूती के सभी संकेत जैसे पूंजी की उपलब्धता और हमारे व्यावसायिक बैंकों की गैर निष्पादित संपत्तियों व संपत्तियों पर मिलने वाले रिटर्न का अनुपात काफी बेहतर है। भारतीय बैंकों को अमेरिकी सब प्राइम संकट से कुछ लेना-देना नहीं है।
- वैश्विक वित्तीय संकट के परिणाम स्वरूप वित्तीय बाजार को दबाव से उबारने के लिए रिजर्व बैंक के सामने तत्कालीन चुनौती घरेलू और विदेशी मुद्रा की तरलता को बढ़ाने के साथ बाजार में विश्वास बहाल करना था।
-बाजार मे तरलता बढ़ाने के लिए जो भी कदम उठाए गए हैं वे नकद आरक्षित अनुपात में कटौती, कानूनी तरलता अनुपात का तत्कालिक रूप से समायोजन और किसानों की ऋण माफी योजना के पहले किश्त को जारी करने से जुड़े हैं।
- जुलाई 2008 में की गई पहली तिमाही समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आठ प्रतिशत रहने का अनुमान था। इसके बाद वैश्विक और घेरलू स्तर पर वित्तीय समस्या पैदा हो गई। इन समस्याओं को देखते हुए रिजर्व बैंक ने जीडीपी 7.5 से 8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।