चित्रकार पारितोष सेन नहीं रहे
कोलकाता, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। समकालीन भारतीय कला आंदोलन के संस्थापकों में से एक पारितोष सेन का बुधवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार सेन को फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत थी। उन्हें डेढ़ महीने पहले अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके परिवार में केवल पत्नी है। सेन दंपत्ति की कोई संतान नहीं है।
ढाका में 24 सितम्बर 1918 को जन्मे सेन कलकत्ता ग्रुप के संस्थापक सदस्यों में एक थे। वर्ष 1942 में स्थापित इस समूह ने भारतीय आधुनिक कला की शुरूआत में अहम योगदान दिया।
एम. एफ. हुसैन जैसे कलाकारों के समकालिक प्रकृति, रंग और आंदोलन से प्रभावित थे और उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद घर से भागकर मद्रास कला विद्यालय में दाखिला ले लिया। वर्ष 1949 में उच्च शिक्षा के लिए यूरोप जाने से पहले सेन ने इंदौर में अध्यापन का कार्य भी किया और अपने मित्रों के साथ मिलकर कलकत्ता ग्रुप भी बनाया।
पेरिस में सेन को महान कलाकार पिकासो से मुलाकात से मौका भी मिला जिनका उन पर गहरा असर पड़ा।
देश लौटकर रांची के निकट पलामू स्थित नेतरहाट विद्यालय में सेन ने बतौर अध्यापक काम किया। बाद में जाधवपुर यूनिवर्सिटी स्थित स्कूल ऑफ प्रिंटिंग टेक्न ोलोजी में उन्होंने डिजाइन और लेआउट प्रोफेसर के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।
कोलकाता, नई दिल्ली, लंदन, स्वीडन, हवाना सहित विश्व के कई भागों में सेन की कला प्रदर्शनियां लगाई जा चुकी हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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