परमाणु करार से भारत को बम बनाने में मदद नहीं : बुश
अरुण कुमार
अरुण कुमार
वाशिंगटन, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के लागू होने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इसे प्रमाणित करते हुए कांग्रेस से कहा है कि यह करार परमाणु हथियार हासिल करने में भारत की किसी भी तरह मदद नहीं करेगा।
अमेरिकी कानून के तहत ऐतिहासिक समझौते की मंजूरी के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र के पहले सेट में बुश ने मंगलवार को कहा कि यह करार परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी)की अमेरिकी जिम्मेदारियों के अनुरूप है।
राष्ट्रपति बुश ने यह भी घोषणा की है कि अमेरिका की नीति 45 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) के साथ काम करने की है। एनएसजी ने प्रयोग किए गए परमाणु ईधन के पुन: प्रसंस्करण और यूरेनियम संवर्धन तकनीक और उपकरणों के स्थानांतरण को प्रतिबंधित किया है।
बुश ने विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस की ओर से 20 अक्टूबर को दिए ज्ञापन पर राष्ट्रपति निर्धारण के तहत ये दो प्रमाणपत्र दिए हैं।
बुश ने कांग्रेस के दोनों सदनों के अध्यक्षों, दोनों सदनों की विदेश संबंध समिति के अध्यक्षों तथा दोनों समितियों में शामिल शीर्ष रिपब्लिकन सदस्यों को अलग से पत्र भेज कर इस बारे में अधिसूचित किया है।
बुश को 123 समझौते को लागू करने के लिए राजनयिक नोट्स के आदान-प्रदान से पहले भी प्रमाण पत्र का एक और सेट जारी करना पड़ेगा। इसके बाद भारत पर से मई 1974 में किए गए पहले परमाणु परीक्षण के बाद से लागू असैनिक परमाणु व्यापार प्रतिबंध हट जाएंगे।
अमेरिका की निगाह भारत के साथ 150 अरब डॉलर की व्यापार संभावनाओं पर है। अमेरिका की योजना दिसंबर में अमेरिका-भारत व्यापार परिषद के नेतृत्व में एक परमाणु व्यापार मिशन भारत भेजने की है, इसमें भारत में निवेश करने वाली 280 सबसे बड़ी अमेरिकी कंपनियों का प्रतिनिधित्व है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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