चांद को छूने के लिए बढ़ा चंद्रयान-1 (राउंडअप)
श्रीहरिकोटा (आंध्रपदेश), 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। चांद की खोज के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए बुधवार सुबह 6.22 बजे चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया। चेन्नई से 80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से यान के प्रक्षेपित होने के साथ ही भारत अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, चीन व जापान के साथ कतार में खड़ा हो गया।
श्रीहरिकोटा (आंध्रपदेश), 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। चांद की खोज के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए बुधवार सुबह 6.22 बजे चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया। चेन्नई से 80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से यान के प्रक्षेपित होने के साथ ही भारत अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, चीन व जापान के साथ कतार में खड़ा हो गया।
प्रक्षेपण के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) के चेयरमैन जी. माधवन नायर ने कहा, "भारत ने चांद की यात्रा शुरू कर दी है। हमारे भाग्य से बारिश रुक गई और बादल छंट गए। हमने पहला कदम सफलतापूर्वक बढ़ा दिया है और यान कक्ष में स्थापित हो गया है।"
विशेष रूप से निर्मित पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी सी11) से प्रक्षेपित यह यान चांद को मापने के अलावा वहां पर हेलियम-3 और पानी की संभावना तलाशेगा।
इसरो के उप निदेशक एम. जी. राजशेखरन ने कहा, "हमे बुधवार दोपहर एक बजे पहला सिगनल प्राप्त हुआ।" सफल प्रक्षेपण के बाद नायर के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने एक दूसरे को बधाई दी और गले मिले।
इस सफलता पर वैज्ञानिकों को देश व विदेश से बधाई संदेश मिले हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा, " अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए यह हमारी प्रौद्योगिकी के विकास को प्रदर्शित करता है।"
वैज्ञानिकों को भेजे बधाई संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि वे इस मिशन के प्रथम चरण की कामयाबी पर इससे जुड़े सभी वैज्ञानिकों को मुबारकबाद देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे वैज्ञानिक समुदाय ने एक बार फिर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है और पूरा राष्ट्र उन्हें सलाम करता है।"
सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए शीर्ष वैज्ञानिकों ने कहा कि अभियान के प्रथम चरण की सफलता के साथ ही देश नक्षत्रों के अध्ययन के एक नए युग में प्रवेश कर गया है।
अमेरिका ने भी चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण पर भारत को बधाई दी है। साथ ही उसने इस सफलता को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी का एक उदाहरण बताया है।
भारत में अमेरिकी राजदूत डेविड मलफोर्ड ने नई दिल्ली में जारी एक बयान में कहा है कि यह भारतीय इतिहास के लिए गौरव का क्षण है। यह इस बात को जाहिर करता है कि अंतरिक्ष अनुसंधान में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जुड़ने के बाद भारत की प्रौद्योगिकी क्षमता और मजबूत हुई है।
चंद्रयान-1 में लगे दो अमेरिकी प्रयोगात्मक उपकरणों का जिक्र करते हुए मलफोर्ड ने कहा, "भारत का यह प्रक्षेपण, जिसमें अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भारतीय वैज्ञानिकों के साथ मिल कर काम किया है, हमारे द्विपक्षीय साझेदारी के आदर्शो का नमूना है।"
चंद्रयान पर कुल 11 प्रयोगात्मक उपकरण तैनात हैं। इसमें पांच भारत के हैं, जबकि छह अमेरिका, बुल्गारिया व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के विश्वविद्यालयों व प्रयोगशालाओं के हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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