एशिया में शांति की कुंजी है सशक्त भारत-जापान संबंध : मनमोहन
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। जापान के साथ रिश्तों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगलवार को जापान की यात्रा पर रवाना हो गए।
टोक्यो में दो दिन बिताने के बाद सिंह चीन की राजधानी बीजिंग जाएंगे और एशिया यूरोप बैठक (एएसईएम) की सातवीं शिखर बैठक में भाग लेंगे।
अपनी रवानगी से पहले जारी बयान में सिंह ने कहा, "मैं जापान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बेहद महत्वपूर्ण मानता हूं। भारत और जापान एशिया के दो प्रमुख देश हैं और उनके बहुत से हित और मूल्य समान हैं। "
सिंह ने कहा, "सशक्त भारत-जापान संबंध एशिया के उभरते सुरक्षा ढांचे में अहम भूमिका निभाएंगे तथा एशिया और विश्व की शांति, स्थायित्व और समृद्धि में योगदान देंगे।"
सिंह जापान के नए प्रधानमंत्री तारो आसो के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मसलों पर व्यापक चर्चा करेंगे। दोनों के बीच बातचीत का मुख्य केंद्र वह सुरक्षा समझौता रहेगा जिस पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद हस्ताक्षर होंगे।
सुरक्षा समझौते में दोनों देशों की सेनाओं और सुरक्षा प्रतिष्ठानों में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया जाएगा। इससे दोनों एशियाई देशों में रणनीतिक भागीदारी बढ़ेगी।
सिंह ने आसो को भारत का करीबी मित्र करार देते हुए कहा कि दोनों नेता पिछले एक साल में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे और अगले वर्ष का एजेंडा तय करेंगे।
सिंह ने कहा कि हालांकि पिछले चार वर्षो में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है।
जापान के बाद सिंह चीन रवाना होंगे जहां वे एएसईएम में भाग लेंगे। भारत इस शिखर बैठक में पहली बार हिस्सा ले रहा है। इस बारे में सिंह ने कहा कि यह एशियाई और यूरोपीय देशों के साथ हमारे प्रगाढ़ होते संबंधों का नतीजा है।
बैठक में वैश्विक वित्तीय संकट के साथ-साथ आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और बहुपक्षीय व्यापार जैसे मसलों पर भी चर्चा हो सकती है।
इस दौरान सिंह चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ, जर्मनी ,इटली, बुल्गारिया, मंगोलिया और वियतनाम के नेताओं से भी भेंट करेंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।