अस्पताल बना जेल, स्वास्थ्य विभाग ने बिठाई जांच
लखनऊ, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तरप्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने एक 18 वर्षीय युवती की ओर से लगाए गए कथित आरोप को गंभीरता से लिया है, जिसमें उसने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) पर आरोप लगाया कि इलाज की राशि जमा न कर पाने के कारण उसे पिछले 13 महीने से कैद रखा गया है।
राज्य के स्वास्थ्य महानिदेशक आई. एस. श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया, "यह मामला चौंकाने वाला है और इसकी जांच के लिए एक समिति गठित की गई है।" सलमा ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने उसे गत 13 महीने से कैद कर रखा है।
अस्पताल रिकार्ड के मुताबिक वाराणसी निवासी सलमा को सितंबर 2007 को भर्ती किया गया था। दिल की मरीज सलमा के एक रिश्तेदार ने उस समय 50,000 रुपये अस्पताल में जमा कराए थे लेकिन उसके इलाज में 1,50,000 रुपये का खर्च आया था।
सलमा का इलाज करने वाले हृदय रोग विभाग के चिकित्सक निर्मल गुप्ता ने इस बाबत कुछ भी कहने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, "मैंने अपना पक्ष एसजीपीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक ए. के. भट्ट के सामने रख दिया है।"
भट्ट ने चिकित्सक निर्मल गुप्ता का पक्ष रखते हुए कहा कि इलाज के दौरान सलमा का कोई परिजन अस्पताल नहीं आया, जिसकी वजह से उसे अस्पताल से छुट्टी नहीं दी गई।
उधर, सलमा की मां आर. बेगम ने चिकित्सक गुप्ता के दावे को गलत बताते हुए कहा कि इस हरकत से एसजीपीजीआई का अमानवीय पक्ष सामने आया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।