बंदरों की तेरहवीं में जुटे सैकड़ों बंदर!
वाराणसी, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। दशहरा के दिन छह बंदरों को एयर गन से गोली मारने का खुलासा वन विभाग भले ही अभी तक नहीं कर पाया हो, लेकिन बंदरों को हनुमान जी की सेना मानने वाली वाराणसी की एक स्वयं सेवी संस्था गंगा सेवा महासंघ ने मंगलवार को उनकी तेरहवीं मनाकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की।
अपने दिवंगत साथियों की तेरहवीं पर संकट मोचन मन्दिर के प्रांगण में बन्दरों के लिए फलों की भव्य दावत का आयोजन किया गया था, जिसमें सैकड़ों बन्दरों ने जमकर दावत उड़ाई। दावत में उछलकूद कर केला, सेब, पपीता, अनार और अमरूद खा रहे बन्दरों को शायद नहीं पता था कि इन्हीं इंसानों ने उनके कुछ साथियों को मौत के घाट उतार दिया था।
बन्दरों की उछलकूद और दावत देखकर आस पास लोंगो की भीड़ जमा हो गयी। चेन्नई से सपरिवार संकट मोचन का दर्शन करने आये एस. आर. स्वामी ने जब बंदर भोज का कारण जाना तो कहा कि ये मासूम बंदर किसी का क्या बिगाड़ सकते हैं, जो इन्हें भी लोग गोली मारने लगे हैं। राजेश्वर आचार्या ने कहा कि बंदर की अकाल मौत उस क्षेत्र के लिए अपशकुन मानी जाती है, यहां तो एक नहीं छह बन्दरों को मारा गया है।
दावत के प्रायोजक गंगा सेवा महासंघ के अखिल भारतीय संयोजक संजय पांडेय ने बताया कि बन्दरों का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही उनका पर्यावरण की दृष्टि से भी काफी महत्व है। इसीलिए इनको मारना कानूनी रुप से भी अपराध है, लेकिन विडम्बना यह है कि इनकी सुधि न तो प्रशासन ले रहा है और न ही आम इंसान। पांडेय ने दावा किया कि हमारी संस्था ने ठाना है कि काशी में न तो कोई लाश लावारिस रहेगी और न ही कोई भूखा सोयेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।