स्वदेश लौटने की चाहत में 31 वर्षो से भारत में फंसा है रवींद्रन
कुआलालंपुर, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। शिक्षा ग्रहण करने मलेशिया से भारत गए सी. के. रवींद्रन पिछले 31 वर्षो से वहीं फंसे हुए हैं। मलेशियाईअधिकारियों द्वारा उनके पासपोर्ट का नवीनीकरण करने से इंकार कर देने के बाद से वे आज तक अपने जन्म स्थान लौट नहीं पाए हैं।
रवींद्रन ने अरसा पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी और अब तो भारत में उनका परिवार भी है। अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए उनके पास मलेशियाई नागरिकता वाला वैध पहचान पत्र और जन्म प्रमाण पत्र है।
समाचार पत्र 'द स्टार' के अनुसार राष्ट्रीय पंजीकरण विभाग के कागजातों से उनके दावों की पुष्टि भी होती है। विभाग उस कारण को तलाशने की कोशिश कर रहा है कि आखिर रवींद्रन को पासपोर्ट मिलने में कठिनाई क्यों हो रही है।
मलक्का जनरल अस्पताल में 25 जून 1948 को जन्मे रवींद्रन 1967 में केरल के तिरुवनंतपुरम में सेंट जेवियर कॉलेज में पढ़ाई करने भारत आए थे। उसके बाद उन्होंने बेंगलुरू के क्रिश्चियन कॉलेज से रबर तकनीशियन के रूप में स्नातक की उपाधि भी हासिल की। वर्ष 1975 में उन्होंने शादी भी कर ली जिससे उन्हें एक बेटी हुई जिसका बाद में निधन हो गया।
रवींद्रन ने समाचार पत्र को बताया कि सन 1977 में पासपोर्ट की अवधि समाप्त होने के पहले ही वह मलेशिया लौटना चाहते थे लेकिन बेटी की मौत से दुखी पत्नी को अकेले छोड़ कर वह नहींे जा सके।
उनके अनुसार पासपोर्ट की मियाद पूरी होने के पहले ही उन्होंने चेन्नई में मलेशियाई के वाणिज्य दूत कार्यालय में संपर्क किया था, लेकिन उनसे कहा गया कि पासपोर्ट की अवधि बढ़ाना संभव नहीं है।
उसके बाद भी समय-समय पर स्वदेश जाने की उनकी कोशिशें औपचारिकताओं में उलझ कर रह गईं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।