भारतीय की अंतरिक्ष यात्रा : चर्च से चंद्रयान तक !
तिरुवनंतपुरम, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। सन 1963 की 21 नवम्बर को अमेरिका निर्मित 'नाइक-अपाची साउंड राकेट' का थुंबा से प्रक्षेपण एक आगाज था भारतीय अंतरिक्ष की महागाथा का, जिसका अब एक गौरवशाली इतिहास है।
तिरुवनंतपुरम, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। सन 1963 की 21 नवम्बर को अमेरिका निर्मित 'नाइक-अपाची साउंड राकेट' का थुंबा से प्रक्षेपण एक आगाज था भारतीय अंतरिक्ष की महागाथा का, जिसका अब एक गौरवशाली इतिहास है।
सन 1963 में जब भारत ने थुंबा से अमेरिका निर्मित एक राकेट अंतरिक्ष में छोड़ा था, उस समय एक चर्च को नियंत्रण कक्ष, बिशप के आवास को कार्यालय और रॉकेट के पथ पर नजर रखने के लिए एक साइकिल को माध्यम बनाया गया था। उस घटना के लगभग 45 वर्ष बाद देश चंद्रमा पर शोध के लिए अपना पहला मानवरहित यान चंद्रयान-1 भेजने के लिए तैयार है।
शुरुआत से ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े रहे आर. अरवामुदान ने उस घटना को याद करते हुए कहा, "उस समय यहां कोई भवन नहीं था। हमारा पहला कार्यालय बिशप का घर और वहां स्थित सेंट मैरी मैग्डलीन चर्च बना।" उन्होंने बताया कि उसके बाद से चर्च को अंतरिक्ष संबंधी संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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