चंद्रयान भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध करेगा : कलाम (लीड-2)
श्रीहरिकोटा/ चेन्नई/हैदराबाद, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने सोमवार को देश के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि चंद्रयान भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध करने में मदद करेगा। देश के पहले मानवरहित चंद्र अभियान 'चंद्रयान-1' के बुधवार को होने वाले प्रक्षेपण की उल्टी गिनती सोमवार सुबह 5.22 बजे शुरू हो गई। चंद्रयान के अब आसमान में छोड़े जाने का इंतजार है।
हैदराबाद में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास इंस्टीट्यूट के सम्मेलन परिसर में डा. कलाम पत्रकारों से बात कर रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि चंद्रयान से किस तरह भारत को मदद मिलेगी तो उन्होंने कहा कि पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल रणनीतिक और आर्थिक सत्ता हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के प्रमुख जी. माधवन नायर ने कहा है कि भारत चंद्रमा पर अपना झंडा गाड़ेगा।
चंद्रयान की उल्टी गिनती की शुरुआत के साथ ही उन 1,000 वैज्ञानिकों और तकनीशियनों के दिलों की धड़कनें तेज हो गईं जो दिन रात इस अभियान को सफल बनाने की कोशिशों में जुटे हैं।
चंद्रयान-1 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी- सी 11) के माध्यम से श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा जहां से इसे चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
श्रीहरिकोटा रेंज के प्रवक्ता एन. रविंद्रनाथ ने आईएएनएस से कहा, "श्रीहरिकोटा को इसकी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और विविध वैज्ञानिक कारणों से प्रक्षेपण केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।"
चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर को सुबह 6.20 बजे प्रक्षेपित किया जाना है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) टेलीमेट्री के निदेशक 55 वर्षीय एस.के. शिवकुमार इस उपग्रह के छोड़े जाने की घड़ी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
दरअसल, इस उपग्रह के लिए उन्होंने जो ट्रैकिंग एंटीना तैयार किया है, उसे लेकर वह काफी उत्साहित हैं। उन्हें बुधवार की सुबह उस घड़ी का इंतजार है, जब वह इसके छोड़े जाने के बाद उसकी धीमी गति वाली ट्रैकिंग प्रणाली को चालू कर उसे आजमा सकें।
शिवकुमार ने आईएएनएस को बेंगलुरू से फोन पर बताया कि कुछ दिनों तक ट्रैकिंग एंटीना मात्र 0.1 मिलीडिग्री प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ेगा। एंटीना की इस गति को कोई देख नहीं पाएगा लेकिन यह गतिशील होगा।
सुदूर संवेदन या संचार उपग्रहों के मामले में ट्रैकिंग एंटीना 0.4 डिग्री प्रति सेकंड की दर से गति करता है।
शिवकुमार के अनुसार उन्हें इस उपग्रह के लिए एंटीना की गति इसी अनुपात में निर्धारित करनी थी।
बी.एससी, बीई व एम.टेक जैसी तीन उपाधियों वाले शिवकुमार को इस चंद्र अभियान के लिए ट्रैकिंग एंटीना तैयार करने के लिए मात्र 4 साल का समय दिया गया था। शुरू में वे इस समय सीमा को लेकर चिंतित थे। लेकिन उन्होंने और उनकी टीम ने न केवल समय पर अपना काम पूरा कर लिया, बल्कि एक जापानी चंद्रयान सेलेनी (एसईएलईएनई) के जरिए अपने सभी उपकरणों का परीक्षण भी कर लिया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के प्रमुख जी. माधवन नायर ने समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि चंद्रमा पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए भारत वहां अपना झंडा गाड़ेगा। चंद्रमा पर झंडा गाड़ने वाले देशों में अमेरिका, रूस व जापान के बाद भारत का चौथा स्थान होगा।
नायर ने दोहराया कि इसरो ने 2015 तक अंतरिक्ष में मानव भेजने की योजना तैयार की है। अंतरिक्ष में मानव भेजने पर 100 अरब रुपये की लागत आएगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय संदर्भ में हम बुनियादी उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष तकनीक अपनाने को प्रतिबद्ध हैं। हमने ऐसा किया है और आगे भी इसे जारी रखेंगे। लिहाजा बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा आम आदमी के लिए प्रासंगिक कार्यक्रमों पर खर्च होने जा रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।