प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार का नोटिस (लीड-1)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर संसद को विश्वास में न लेने के मुद्दे पर वाम दलों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से चर्चा में कहा, "हमने संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को इस संबंध में नोटिस भेजा है। हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि विश्वास मत के दौरान प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों में आश्वासन दिया था कि परमाणु करार पर हस्ताक्षर करने से पहले वे इसे संसद में लाएंगे और उसकी मंजूरी दिलाएंगे।
येचुरी ने कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा था कि वे संसद से बंधे हैं। उन्होंने वामदलों से कहा था कि हमें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) और परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) में जाने दीजिए फिर हम आपके बीच आएंगे और चर्चा करेंगे।"
उन्होंने कहा, "विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी और कोंडोलीजा राइस ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके साथ ही यह करार प्रभाव में आ गया है। हमें लगता है कि यह विशेषाधिकार हनन का गंभीर मामला है।"
बहरहाल, गेंद अब लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी और राज्यसभा के सभापति डा. हामिद अंसारी के पाले में है। दोनों ने यदि इस नोटिस को स्वीकार कर लिया तो फिर यह मामला विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाएगा। समिति को यदि इस प्रस्ताव में दम नजर आएगा तो वह फिर प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप तय करेगी।
संसद का मौजूदा सत्र यूं तो 21 नवम्बर को समाप्त होना है लेकिन पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों व पर्व त्यौहारों के मौसम को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि यह सत्र जल्दी ही समाप्त हो जाएगा।
चालू सत्र में इस प्रस्ताव पर यदि चर्चा नहीं हुई तो यह प्रस्ताव अपने आप रद्द मान लिया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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