भारत-पाक में प्रतिद्वंद्विता नहीं चाहता चीन
जरदारी चार दिन की चीन यात्रा पर कल यहां पहुंचे हैं तथा आज उनकी चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से भेंट होनी है। इसके बाद दोनों देशों के बीच करीब दर्जन भर द्विपक्षीय सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे।
भारत और अमरीका के बीच असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौते पर एक अक्टूबर को अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के हस्ताक्षर होने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने चीन के साथ ऐसा ही समझौता करने का ऐलान किया था।
जरदारी की चीन यात्रा के साथ ही पाकिस्तानी मीडिया में पाकिस्तान-चीन परमाणु करार पर हस्ताक्षर तक होने की खबरें जोर पकड़ने लगीं हैं। यहां दक्षिण एशियाई मामलों के एक चीनी विशेषज्ञ सिचुआन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर झांग ली का कहना है कि असैन्य परमाणु सहयोग को लेकर दोनों देश एक साझा बयान अवश्य जारी कर सकते हैं क्योंकि भारत-अमरीका परमाणु करार के बाद पाकिस्तान खुद को परेशानी में और अलग-थलग सा महसूस कर रहा है।
झांग ने कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत ही खराब हालत में है। इसलिये उसे आर्थिक मदद देना होगा चीन को उसके पक्ष में खडे भी दिखना होगा, लेकिन चीन की सरकार ऐसा कुछ कहीं करना चाहती जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़े।
चीनी
विदेश
मंत्रालय
के
प्रवक्ता
किन
गांग
ने
कहा
है
कि
उनका
देश
पाकिस्तान
के
साथ
असैन्य
परमाणु
ऊर्जा
क्षेत्र
में
सहयोग
का
इच्छुक
है
बशर्ते
वे
अप्रसार
के
अंतर्राष्ट्रीय
सुरक्षात्मक
उपायों
के
अंतर्गत
हों,
लेकिन
प्रवक्ता
ने
चीन
पाकिस्तान
परमाणु
करार
के
बारे
में
कोई
टिप्पणी
नहीं
की।