राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एक पर रूप अनेक
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) चंद उदाहरणों को छोड़कर भ्रष्ट अधिकारियों की बलि चढ़ रही है। राजधानी में आयोजित दो दिवसीय पंचायत सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों ने यह बात कही।
राजधानी के वीपी हाउस परिसर में 'इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज'(आईएसएस) की ओर से आयोजित सम्मेलन की शुरुआत पंचायती राज और पूर्वोत्तर मामले के मंत्री मणिशंकर अय्यर ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में पंचायत सक्रिय है, उन्हीं राज्यों में नरेगा के तहत बेहतर काम हो रहे हैं।
इस अवसर पर त्रिपुरा से आए मनी सिंह ने कहा, "हमारे यहां जो व्यक्ति सत्तारूढ़ दलों का समर्थन करता है उसे काम दिया जाता है। राज्य में नरेगा का प्रचार खूब किया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत का उससे कोई संबंध नहीं है।"
महाराष्ट्र से आईं महिला सरपंच जयवंता ने कहा कि गरीब लोगों से काम लेना है तो उन्हें मेहनत की कमाई देनी होगी। वहां मजदूरों को पूरी जानकारी न होने से संबंधित अधिकारी धन की खूब हेराफेरी करते हैं।
आईएसएस के निदेशक जार्ज मैथ्यू ने कहा कि अगले दो दिनों तक यह जानने की कोशिश रहेगी कि 16 हजार करोड़ रुपये वाली नरेगा के अंतर्गत पंचायती राज पूरे देश में कैसा काम कर रहा है? दो दिनों में आठ सत्र रखे गए हैं। इस दौरान सभी राज्यों से आए पंचायत प्रतिनिधि अपने अनुभव बताएंगे।
त्रिपुरा की प्रेमा देवी ने कहा, "राजस्थान के भाई-बंधु बता रहे हैं कि वहां नरेगा के तहत अच्छा काम हो रहा है लेकिन हमारे यहां गरीबों को इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है।" उन्होंने कहा कि नरेगा तो एक है लेकिन दिल्ली आकर पता चला कि पूरे देश में उसके अलग-अलग रूप हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।