हर 100वां शिशु होता है दिल का मरीज
चंडीगढ़, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत में पैदा होने वाले प्रत्येक सौ बच्चों में से एक ह्दय की किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होता है और बाल रोग विशेषज्ञों को निदान के दौरान इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यह राय देश क प्रमुख ह्दय रोग विशेषज्ञों ने जाहिर की है।
चंडीगढ़, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत में पैदा होने वाले प्रत्येक सौ बच्चों में से एक ह्दय की किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होता है और बाल रोग विशेषज्ञों को निदान के दौरान इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यह राय देश क प्रमुख ह्दय रोग विशेषज्ञों ने जाहिर की है।
हर साल देश में 175,000 बच्चे जन्म से ही दिल की किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं और उनमें से महज 5,000 की बीमारी का सही समय पर पता चल पाता है और उनकी शल्यक्रिया हो पाती है।
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट पीएडिट्रिक कार्डियोलॉजी विकास कोहली ने आईएएनएस को बताया, "नवजात शिशुओं में प्राय: दिल में छेद की बीमारी पाई जाती है। सौ नवजात शिशुओं में से एक दिल की किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होता है।"
"हमारे पास भ्रूण के ह्दयरोग से ग्रसित होने का पता लगाने की तकनीक मौजूद है और हम बहुत शुरुआत से ही उसका इलाज शुरू कर सकते हैं। हालांकि लोगों में जागरूकता बहुत कम है और बहुत कम लोग इसके लिए जरूरी परीक्षण करवाते हैं।"
चिकित्सकों को निदान के समय बच्चों के जन्म के समय से ही ह्दय रोग से पीड़ित होने संबंधी मामलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विलंब होने पर कई बार ह्दय को काफी नुकसान पहुंच सकता है जो जानलेवा हो सकता है।
राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल के कंसल्टेंट कार्डियालोजिस्ट जे. पी. एस. साहनी के मुताबिक कामकाजी महिलाओं में भी मानसिक और सामाजिक दबावों की वजह से ह्दयरोगों की आशंका बढ़ रही है।
साहनी के मुताबिक पहले यह माना जाता था कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ह्दय रोग कम होते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। महिलाओं के भी ह्दय रोग से पीड़ित होने का खतरा पुरूषों के समान ही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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