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वित्तीय संकट : फोर्ड व जीएम की हालत पतली, निवेशक आशंकित (राउंडअप)

By Staff
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नई दिल्ली/मुंबई/डेट्रायट, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। मौजूदा वित्तीय संकट की वजह से निवेशक आशंकित हैं, वे अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि निकट भविष्य में ऊंट किस करवट बैठेगा। वाहन बनाने वाली दिग्गज अमेरिकी कंपनियों 'फोर्ड' एवं 'जनरल मोटर्स' की हालत पतली हो गई है। इस बीच मुंबई में एक शेयर दलाल ने परिवार समेत आत्महत्या कर ली।

पिछले सप्ताह देश के शेयर बाजारों के धराशायी होने के बाद तमाम निवेशकों के जहन में दो ही सवाल हैं। पहला यह कि भारतीय शेयर बाजारों के खेवनहार कौन हैं और दूसरा मौजूद वित्तीय संकट का अंत कब होगा।

मौजूदा वित्तीय संकट की वजह से पिछले सप्ताह देश के शेयर बाजारों में 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर एक दशक के न्यूनतम स्तर 1.3 प्रतिशत पर आ गई।

उधर, 'जनरल मोटर्स' (जीएम) और 'फोर्ड' जैसी वाहन बानाने वाली बड़ी-बड़ी अमेरिकी कंपनियों की हालत दिनोंदिन पतली होती जा रही है। विशेषज्ञों ने वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों के धराशायी होने के बाद अब दूसरी तरह की परेशानी शुरू होने की आशंका जताई है।

पिछले वर्ष की मंदी के बाद वाहन बनाने वाली अमेरिकी कंपनियों की मुश्किलें उत्तरोत्तर बढ़ती ही जा रही हैं। जनरल मोटर्स और फोर्ड को अरबों डॉलर का नुकसान हो चुका है। अब ये कंपनियां ढालान पर हैं। यदि स्थिति नहीं सुधरी तो इनकी हालत भी लेहमैन ब्रदर्स जैसी हो सकती है।

भारतीय निवेशकों की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुंबई के एक शेयर दलाल, उसकी पत्नी और उनके दो संतान रविवार को अपने घर में मृत पाए गए। आशंका जताई जा रही है कि शेयर बाजारों के धराशाई होने की वजह से हुए नुकसान के कारण पूरे परिवार ने आत्महत्या कर ली।

पुलिस के मुताबिक 77 वर्षीय शेयर दलाल ए. के. नायर, उनकी 65 वर्षीय पत्नी श्यामला, 43 वर्षीया पुत्री सुचित्रा और 42 वर्षीय पुत्र सुधीर बोरिवली (पूर्व) के राहेजा कंप्लेक्स स्थित अपने फ्लैट में रविवार दोपहर 3.30 बजे मृत पाए गए।

हालांकि कुछ निवेशक घाटे के बावजूद भविष्य के प्रति सकारात्मक नजरिया रखते हैं। चेन्नई स्थित निजी क्षेत्र की एक कंपनी से सेवानिवृत्त वी. श्रीनिवासन ने कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि सरकार इस समस्या का शीघ्र हल निकालने में सक्षम है।" शेयर बाजारों के लुढ़कने की वजह से श्रीनिवासन ने काफी नुकसान उठाया है।

गौरतलब है कि इस सप्ताह चारों कारोबारी दिवसों के दौरान बाजार में अफरा-तफरी मची रही। बंबई स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक 'सेंसेक्स' शुक्रवार को 10,527.85 के स्तर पर बंद हुआ। इस सप्ताह इसमें 1,998.47 अंक यानी 15.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी 'क्रिसिल' का आकलन है कि इस वर्ष सितंबर के दौरान निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से 2.3 खरब रुपये से ज्यादा पैसे निकाल लिए। एक अन्य आकलन के मुताबिक पिछले सप्ताह देश की 10 प्रमुख कंपनियों की बाजार पूंजी 1.23 खरब रुपये घट गई।

रविवार को 'दुबई फाइनेंसियल मार्केट' (डीएफएम) 43 महीने के न्यूनतम स्तर पर चला गया और 'आबू धाबी सिक्युरिटिज एक्सचेंज' (एडीएक्स) में 2.30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने का आग्रह करते हुए बताया कि पूंजी बाजार में मौजूदा उथल-पुथल पर विराम लगाने के लिए सरकार और मौद्रिक उपाय कर सकती है। गौरतलब है कि बाजार में तरलता बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पिछले सप्ताह नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 1.5 प्रतिशत यानी 150 आधार अंकों की कटौती कर चुकी है।

देश के अचल संपत्ति क्षेत्र की कंपनियों पर इस संकट का प्रतिकूल असर हुआ है। पहले से ही कम मांग का दबाव झेल रहे इस क्षेत्र की हालत वित्तीय संकट की वजह से और खराब हो गई है।

मौजूदा वित्तीय संकट की वजह से ऋण के भरोसे चलने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों के कोष में कटौती हो चुकी है। वाहन बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में सामान्य से ज्यादा गिरावट के कारण शेयर बाजार भी लड़खड़ा गए हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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