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विश्व वित्तीय संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान (राउंडअप)

By Staff
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वाशिंगटन/रिओ डी जनेरो/नई दिल्ली 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए अमेरिका ने तमाम धनी औद्योगिक देशों से मिलजुल कर काम करने की अपील की और ब्राजील ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की दोहा दौर की वार्ताएं फिर से शुरू करने की सलाह दी है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट से निपटने के लिए विश्व स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने अपील की कि 'जी-7' के देश वित्तीय बाजार में नकदी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सामूहिक कदम उठाएं।

बुश ने वाशिंगटन में जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों से मुलाकात के बाद कहा कि इस गंभीर आर्थिक समस्या से निपटने के लिए आपसी सहयोग की जरूरत है।

इससे पहले अमेरिका के वित्त मंत्री हेनरी पॉलसन ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका आर्थिक रूप से विकसित दुनिया के शीर्ष देशों के समूह 'जी-7' के विस्तार के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने से मौजूदा वित्तीय संकट से निपटना मुश्किल होगा।

गौरतलब है कि विकासशील देशों ने धनी देशों से मांग की है कि मौजूदा वित्तीय संकट के हल के लिए बातचीत में उन्हें भी शामिल किया जाए। उनका कहना है कि यह संकट प्रमुख रूप से अमेरिका और यूरोपीय देशों का है, लेकिन इसका असर दुनिया के तमाम देशों पर हो रहा है।

उधर ब्राजील सरकार ने मौजूदा वित्तीय संकट से निपटने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की दोहा दौर की वार्ताएं फिर से शुरू करने का प्रस्ताव रखा है।

ब्राजील के राष्ट्रपति लुइस इनासियो लुला डि सिल्वा ने कहा कि उन्होंने टेलीफोन पर अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के समक्ष दोहा दौर की वार्ताएं फिर से शुरू करने का प्रस्ताव रखा।

लुला अगले सप्ताह भारत यात्रा पर जाने वाले हैं। उन्होंने कहा, "मैंने बुश से कहा कि यह सबसे बेहतर हल है। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी राजी करने का प्रयास करुं गा।"

भारत में भी वित्तीय संकट की वजह से भारत की चिंताएं बढ़ी हैं। वित्तीय बाजार के मौजूदा उथल-पुथल पर नियंत्रण के लिए सरकार नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और ब्याज दरों में और कटौती समेत कई मौद्रिक उपाय करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया, "मौजूदा वित्तीय संकट से निपटने में वित्तीय उपाय सबसे ज्यादा प्रभावी साबित हो सकते हैं। जब संकट वैश्विक हो, तो तरलता की कमी से सुरक्षा के लिए ये उपयोगी कदम हैं।"

उन्होंने कहा, "इसी के मद्देनजर सीआरआर में 50 आधार अंकों यानी 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त कटौती कर इसे सात प्रतिशत के स्तर पर लाने की सलाह दी गई है। इससे मांग मुद्रा दर में अनुकूलता आएगी।"

अधिकारी ने बताया कि भरतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डी. सुब्बाराव वित्तीय बाजारों में तरलता का अध्ययन करने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति के सदस्यों और केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से इस मसले पर चर्चा करेंगे।

सुब्बाराव फिलहाल वाशिंगटन में हैं। वे विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वहां गए हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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