मुम्‍बई मेरे बाप की है: उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र की राजनीति का यह वो मोड़ है, जहां एक ओर मराठी मानुष की बात करने वाली शिवसेना के सुप्रीमो बाल ठाकरे के बेटे उद्धव हैं तो दूसरी ओर उनके ही भतीजे और मराठीवाद के सबसे बड़े पैरोकार बन चुके राज ठाकरे।
खास बात यह है कि राज और उद्धव दोनों अपने-आप को महाराष्ट्र का धरतीपुत्र साबित करने में लगे हुए हैं। बाल ठाकरे ने गुरुवार को यह जता दिया कि उद्धव ठाकरे ही उनके असली उत्तराधिकारी हैं और उनकी पार्टी शिवसेना ही मराठी हित की सबसे बड़ी पैरोकार है।
दशहरा रैली में पहली बार लोगों से मुखातिब उद्धव ठाकरे ने बाल ठाकरे के बाद शिवसेना की रणनीति और भविष्य में पार्टी के रुख को तय करते हुए कहा कि जब भी यह सवाल सामने आता है कि मुंबई किसकी है, मैं हर बार जवाब देता हूं मुंबई मेरे बाप की है।
खुद को बाल ठाकरे के बेटे के रूप में जोरदार तरीके से पेश करते हुए उद्धव ने कहा कि जहां मैं जानता हूं, लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। यहां भी हुई है, लेकिन लोग मुझे सुनने नहीं आते हैं। लोग उद्धव ठाकरे को सुनने के लिए नहीं इकट्ठा होते हैं। लोग उद्धव बाल ठाकरे को देखने-सुनने आते हैं।
आलोचकों
का
मुंह
बंद
करने
की
कोशिश
करते
हुए
कहा,
'मै
न
तो
कमजोर
हैं
और
न
ही
नपुंसक
हैं।
मेरे
पिता
बाल
ठाकरे
ने
एक
शावक
को
जन्म
दिया
है।'
उद्धव
के
आलोचक
उनके
व्यक्तित्व
को
लेकर
सवाल
उठाते
रहे
हैं।
उनका
कहना
है
कि
उद्धव
में
वैसी
राजनीतिक
ताकत
नहीं
है
जैसी
बाल
ठाकरे
में
थी।