नैनो प्रकरण को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने कठिन मसला करार दिया
न्यूयार्क/लंदन, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। जमीन अधिग्रहण का मसला तूल पकड़ने की वजह से टाटा मोटर्स की एक लाख रुपये कीमत वाली 'नैनो' कार परियोजना को अंतत: पश्चिम बंगाल से बाहर ले जाने का कठिन निर्णय लेना पड़ा, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में इस मुद्दे पर व्यापक बहस छिड़ गई है।
न्यूयार्क से प्रकाशित 'फाइनेंसियल टाइम्स' ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, "टाटा का निकलना पश्चिम बंगाल के लिए एक झटका है।" अखबार ने कहा है कि निवेश आकर्षित करने के मामले में अन्य राज्यों से पिछड़ चुके पश्चिम बंगाल को इस परियोजना से नई शुरुआत और हजारों की संख्या में रोजगार सृजन की उम्मीद थी।
लंदन से प्रकाशित 'दी टेलीग्राफ' ने कहा कि 20 करोड़ पाउंड की लागत वाली टाटा की नैनो फैक्ट्री दुनिया के सबसे पुराने और बड़े औद्योगिक समूहों में शुमार कंपनी की ओर से दुनिया की सबसे सस्ती कार के उत्पादन के लिए स्थापित की जा रही थी। यह दुखद ही है कि इससे उत्पादन शुरू होने से पहले ही इसका स्थानांतरण करना पड़ा।
अखबार का कहना है कि इस वर्ष की शुरुआत में जब यह कार पेश की गई थी, तो दुनिया के तमाम विकासशील देशों में किफायती कारों के विकास की एक नई लहर पैदा हुई थी। हालांकि कुछ हलकों ने इसे पर्यावरण के लिए खतरनाक करार दिया था।
'वाशिंगटन पोस्ट' ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, "सिंगुर में नैनो प्रकरण दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण परीक्षण वाला मामला प्रतीत होता है। परियोजना को राज्य से बाहर ले जाने के टाटा के फैसले के बाद तथाकथित विशेषज्ञों ने टेलीविजन पर कहना शुरू किया कि इससे निवेश के लिए राज्य की छवि खराब हुई है।"
अखबार ने ध्यान दिलाया है कि पश्चिम बंगाल में वामपंथी पार्टियों की सरकार है जो बुद्धिजीवियों की पार्टी कहलाती है, ऐसे में यह प्रकरण सांकेतिक महत्व रखता है।
'इंटरनेशनल हेराल्ड ट्रिब्यून' और 'न्यूयार्क टाइम्स' ने भी सिंगुर प्रकरण को निवेश और जमीन अधिग्रहण के लिए व्यापाक बहस वाला मुद्दा करार दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।