आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की पोल खुली
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। टेस्ट श्रंखला खेलने के लिए भारत पहुंची आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के लिए हैदराबाद के राजीव गांधी स्टेडियम में खेला जा रहा चार दिवसीय अभ्यास मैच एक सबक की तरह है।
मैच के पहले दिन गुरुवार को जहां बोर्ड अध्यक्ष एकादश के बल्लेबाजों के सामने आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के संघर्ष की गाथा लिखी गई थी, वहीं तीसरे दिन शनिवार को उसके बल्लेबाज अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे। 'फुल स्ट्रेंग्थ' (पूरी क्षमता) के साथ खेल रही मेहमान टीम भारत के दो युवा स्पिन गेंदबाजों-पीयूष चावला और प्रज्ञान ओझा- के सामने बेबस नजर आई।
मैथ्यू हेडन, साइमन कैटिच, रिकी पोंटिंग, माइकल क्लार्क और ब्रैड हेडिन सरीखे बल्लेबाजों के रहते आस्ट्रेलियाई टीम पर फालोऑन का खतरा मंडराने लगा। निश्चित तौर पर बोर्ड एकादश टीम के लिए यह बहुत बड़ी सफलता है।
दूसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद पत्रकारों से मुखातिब चावला ने कहा था कि उन्हें इस बात की खुशी है कि उनकी टीम अपनी पूरी क्षमता के साथ मैदान में उतरी आस्ट्रेलियाई टीम को 'बैकफुट' पर लाने में सफल रही है।
भारतीय पिचों पर खेलना आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों खासतौर पर कप्तान पोंटिंग के लिए हमेशा मुश्किल भरा रहा है। वैसे तो पोंटिंग अभ्यास मैच में 41 रन बनाने में सफल रहे लेकिन उन्होंने अपना विकेट एक स्पिनर को ही थमाया। क्लार्क को स्पिन गेंदबाजी का अच्छा खिलाड़ी माना जाता है लेकिन उनका भी विकेट एक स्पिनर ने ही लिया।
इससे साबित होता है कि स्पिन गेंदबाजों को खेलने के मामले में आस्ट्रेलियाई टीम की कमजोरी अभी दुरुस्त नहीं हुई है। चावला और ओझा टेस्ट श्रंखला के लिए भारतीय टीम में शामिल नहीं हैं। आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज अगर इनके खिलाफ संघर्ष करते नजर आ रहे हैं तो फिर हरभजन सिंह और अनिल कुंबले जैसे विश्वस्तरीय स्पिनरों के सामने उनकी दशा और भी खराब हो सकती है।
कुल मिलाकर आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की भी यही दशा रही। स्तरीय स्पिनर की कमी से जूझ रही मेहमान टीम ने अभ्यास मैच में एक स्पिनर और चार तेज गेंदबाज उतारे हैं लेकिन मिशेल जानसन को छोड़कर उसका कोई भी गेंदबाज खास प्रभाव नहीं छोड़ सका है।
सबसे बड़ी बात यह है कि आस्ट्रेलियाई आक्रमण पंक्ति के अगुआ ब्रेट ली भारत के युवा बल्लेबाजों- रोहित शर्मा और विराट कोहली- के सामने संघर्ष करते नजर आए। टीम में शामिल एकमात्र स्पिनर जेसन क्रेजा ने तो अपने 20 ओवरों में 123 रन लुटा दिए और एक भी सफलता नहीं हासिल कर सके।
किसी महत्वपूर्ण श्रंखला से पहले का अभ्यास मैच एक तरह से थर्मामीटर का काम करता है। इससे श्रंखला में खेलने वाली टीमों को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलती है। अभ्यास मैच के तीन दिनों के खेल को देखते हुए साफ तौर पर कहा जा सकता है कि बेंगलुरू के रिजॉट में आराम फरमा रही भारतीय टीम को बोर्ड एकादश टीम के प्रदर्शन से काफी राहत मिली होगी क्योंकि उसने मेहमानों की कई कमजोरियां उजागर कर दी हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।